समाजवादी पार्टी अब अखिलेश यादव के हाथों में हैं. जिस तरह से अखिलेश ने सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद हासिल किया हैं उससे ही साफ़ था कि अब अखिलेश सार्वजनिक मंचों से पिता की डांट चुचाप सुनने वाले बबुआ नहीं रहे. लेकिन उसके बाद जिस तरह से समाजवादी पार्टी के घोषणापत्र लांच करने के समारोह से मुलायम सिंह गायब रहे उससे ये खुसर फुसर तो जरुर हुई कि अभी भी सपा परिवार में कहीं न कहीं कुछ हलचल तो जरुर चल रही हैं.
अब सपा की स्टार प्रचारकों की लिस्ट से मुलायम के प्रिय व अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव का नाम गायब हैं. मुलायम सिंह भी पार्टी के प्रचार प्रसार के कार्यकर्म में हिस्सा न लेने की बात कर चुके हैं. इससे ये संसद ही मिलता हैं कि पुराने समाजवादी मुलायम व शिवपाल अब बुजुर्गों की तरह दूर से अपनी समाजवादी पार्टी को प्रगति करते देखेंगे.
कहीं नज़रबंद तो नहीं नेताजी
मुलायम सिंह को उनके बेटे अखिलेश यादव पार्टी का संरक्षक बताते हैं लेकिन जिस तरह से पार्टी के घोषणा पत्र के कार्यकर्म में नेताजी नहीं दिखे और सारी कमान अखिलेश यादव के हाथ में आने के बाद सी ही सार्वजनिक जीवन से नेताजी अनुपस्तिथ रह रहे हैं उससे पुराने समाजवादी संशय में हैं. अब लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र में यह लिख भेजा हैं कि मुलायम सिंह अपने ही निवास में नज़रबंद हैं. इतना ही नहीं सुनील ने अपने पात्र में अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप भी लगाये हैं. सुनील सिंह का कहना हैं कि नेताजी की जान को खतरा हैं,सुनील सिंह ने ऐसी आशंका भी दिखाई हैं कि सत्ता पाने की लालसा में कहीं नेताजी की हालत कांशीराम व जयललिता जैसी न हो जाएँ. इन दोनों ही नेताओं की मर्त्यु को उनके समर्थक संदिध्ग मानते हैं. सुनील सिंह चाहते हैं कि नेताजी के निजी स्टाफ को बदला जाएँ और उन्हें सुरक्षा केंद्र की और से मिलें. ये हैं पत्र.
मुलायम सिंह यादव ने सपा के घोषणापत्र के कार्यक्रम से दूरी बनाई रखी. आज़म खां के मनाने पर भी नेताजी आयोजान स्थल पर नहीं पहुंचे लेकिन बाद में अखिलेश यादव व घोषणापत्र के साथ नेताजी ने फोटो जरुर खिंचवाई. इस बीच मुलायम सिंह ने अपने आवास पर एक प्रेस कांफ्रेंस भी बुलाई थी जिसे बाद में रद्द कर दिया गया. प्रेस कांफ्रेंस बुलाने व रद्द करने के कर्ण का अभी पता नहीं चला हैं. लेकिन ये सभी बातें इस तरफ इशारा कर रही हैं कि कभी मजबूत नेता रहे मुलायम अब कमज़ोर पड रहे हैं. सुनील सिंह का यह पत्र इसी का प्रमाण हैं.