जाने कब से हम लोग पढ़ते आ रहे हैं कि भारत एक क्रषि प्रधान देश है. जय जवान जय किसान का नारा हमारे देश के प्रधानमंत्री ने देश की सेना और देश के किसानों का महत्व स्पष्ट करने के लिए दिया लेकिन अब हमारे देश के अन्नदाता हड़ताल के लिए मजबूर हैं. यदि वर्तमान स्थिति की बात करें तो देश के जवाव सीमा पर और किसान आंदोलनों में अपनी जान गवां रहे हैं. कभी कृषक हमारे देश में सबसे सम्मानजनक माने जाते थे लेकिन आज ये ही कृषक सबसे दयनीय स्थिति में पहुँच गये हैं.
मध्यप्रदेश पिछले पाँच सालों से कृषि क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार कृषि कर्मण अवार्ड जीतता आ रहा है. मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर लगभग 25 फीसदी के साथ देश में सबसे अधिक है. लेकिन यहाँ के किसानो पर गोलियां चली हैं जिसने पांच किसानो की जान ले ली. मध्य प्रदेश के ही पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में भी हालत कुछ बेहतर होती नहीं दिख रही. पिछले छह दिनों से महाराष्ट्र में किसानों की हड़ताल चल रही है. किसानी द्वारा की गयी आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले भी महाराष्ट्र में सामने आए. जिस पर सरकार के अनुसार क़र्ज़माफ़ी के रूप में जोरदार कदम भी उठायें गये लेकिन आत्महत्याओं की संख्या में कमी नहीं आयी.
इस किसान आन्दोलन के तार किसानों की फसलों के समर्थन मूल्य से जुडे है जिसको लेकर पूरे देश का किसान लामबंद होता दिख रहा है. खुले बाजार में शायद किसान ही अकेला ऐसा उत्पादक है जिसका अपने उत्पादन का मोल तय करने के मामले में जरा सा भी अख्तियार नहीं चलता. किसानों की दुसरी मांग हैं कर्जमाफी की. किसान चाहते हैं उन्हें बिना ब्याज या बहुत कम ब्याज पर कर्ज मिले और 60 साल से ऊपर के किसानों के लिए कोई सम्मानजनक पेंशन योजना शुरु की जाय. किसानो की इस मांग को बेवजह नहीं कहा जा सकता, क्यूनी कृषि में बहुत ज्यादा आमदनी खासकर छोटे व मझोले किसानो को नहीं होती. हमारे किसान केवल इतना भर कमा लेते हैं कि सम्माज में ठीक ठाक तरीके से गुजर बसर कर सके. साथ ही हर तरीके की समस्याओं से किसानो जूझना पड़ता हैं.
बारिश ज्यादा हो तो या कम हो तो दोनों सूरतों में फसल बरबाद. पैदावार कुम हो तो खाने के लाले और ज्यादा हो तो भंडारघर न होने की समस्या. आज जो किसानो का आक्रोश फूटा हैं उसका कारण केवल एक या दो राज्य व केंद्र सरकार की गलती नहीं हैं बल्कि ये वर्षो से उपेक्षा के शिकार हमारे अन्नदाता की प्रतिक्रिया हैं. जिस पर सरकारों को ध्यान देना ही होगा.