सपा में चल रहे घमशान के वावजूद भी अखिलेश यादव अपना शांत स्वाभाव नहीं छोड़ रहे हैं और कोई भी अनैतिक टिप्पड़ी या बयानबाजी नहीं कर रहे हैं जिसका फायदा उन्हें सर्वे में मिला और अब समर्थन की दौड़ में भी वो मुलायम सिंह से आगे दौड़ रहे हैं और उनके पास २०० से अधिक विधायको का समर्थन हैं |
अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को लेकर जारी विवाद अभी भी थमता नहीं दिख रहा है। कई दौर की बातचीत और सुलह की कोशिशों के बाद भी बीच रास्ता नहीं निकला है। फिलहाल अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। हालांकि मुलायम सिंह यादव इसके खिलाफ हैं और चुनाव आयोग में उन्होंने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोंका है। इस बीच अखिलेश यादव खेमे की ओर से भी साइकिल चुनाव चिन्ह पर दावा किया जा रहा है। पार्टी से जुड़े कई वरिष्ठ नेता भी अखिलेश यादव के समर्थन में आ गए हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी के 200 से ज्यादा विधायकों ने एक एफिडेविट पर हस्ताक्षर किया। ये एफिडेविट अखिलेश यादव के पक्ष में समर्थन जताने के लिए साइन कराए गए हैं।
एक्शन मोड में अखिलेश –
इससे पहले सुबह में अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं का साथ बैठक भी की थी। जिसमें पार्टी की भावी रणनीति को लेकर चर्चा की गई। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही अखिलेश यादव पूरी तरह से एक्शन मोड पर हैं और उन्होंने शिवपाल यादव द्वारा बर्खास्त किए गए चार जिलाध्यक्षों को वापस ले लिया है और उन्हें फिर से पार्टी में जगह दी है। इन चारों जिलाध्यक्षों देवरिया से राम इकबाल यादव, कुशीनगर से रामअवध यादव, आजमगढ़ से हवलदार यादव और मिर्जापुर से आशीष यादव शिवपाल यादव ने बर्खास्त कर दिया था, लेकिन अखिलेश के इस कदम के बाद दोनों ही उनके गुट में शामिल हो गए हैं और ये चारों चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं।
जाहिर हैं की सपा से निष्कासित किये जाने के बाद अखिलेश यादव के लिए आम जानता और उनके विधायको की उनके प्रति सहानुभूति बढ़ती दिखाई दे रही हैं लेकिन देखना होगा की इसका फायदा अखिलेश को चुनाव में मिलता हैं की नहीं |