केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर एक ओर भाजपा अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगी हैं वहीँ दुसरी और विपक्षी दल भी भाजपा पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो चुके हैं। 16 मई, 2014 को आए चुनाव नतीजों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला था. अब भाजपा के सभी नेता मोदी सरकार की उपलब्धियां जनता को गिनाने में लगे हैं. इसी सिलसिले में रविवार को दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में दोपहर बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अपने प्रवक्ताओं और मीडिया प्रभारी को संबोधित करने वाले हैं.
अब अगर इन तीन सालों में आये बदलाव के विषय में बात करें तो नोट बंदी की चर्चा सबसे पहले होगी. पिछले तीन सालों में नोट से कम से कम बदल ही गये. साथ ही इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि मोदी सरकार को विरासत में बदहाल अर्थव्यवस्था मिली थी जो पिछले तीन सालों में काफी सुधर गयी हैं. लेंकिन कुछ ऐसे मुद्दे भी बाकि हैं जिन मोदी सरकार की अब तक नज़र नहीं गयी हैं.
बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में देश की कानून व्यवस्था को ओर चुस्त बनाने का वायदा किया था लेकिन अभी तब इस विषय पर कुछ ख़ास हुआ हो ऐसा दिख नहीं रहा हैं. भाजपा ने जनता से वायदा किया था न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए निचले स्तर पर अदालतों और न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी की जाएगी. अभी तक इस मुद्दे पर मोदी सरकार की उपलब्धि सिर्फ सिफ़र ही हैं.
प्रधानमंत्री बहुत बार भारत को युवाओं का देश कह चुके हैं और भारत के युवाओं की संख्या देखते हुए उनका यह कहना सही भी हैं लेकिन इन युवाओं को अपने भरण पोषण के लिए एक अदद रोज़गार की आवश्यता भी हैं. और इस मोर्चे पर केंद्र सरकार अभी तक सफल नहीं हो पाई हैं. आपको याद दिला दें कि चुनावों के दौरान मोदी जी ने दो करोड़ रोजगार देने का हसीन वादा युवा मतदाताओं से किया था लेकिन ये बस वादा बन कर रह गया हैं. अभी तक केंद्र सरकार की ओर से अधिक रोजगार देने की दिशा में कुछ प्रयास नहीं किया हैं.
महँगी होती शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएँ व पेट्रोल व डीजल जैसी आवश्यक वस्तुएं मोदी सरकार के लिए अभी तक सिरदर्द बनी हुयी हैं.