उत्तर प्रदेश में पांच चरणों का चुनाव निपट चूका हैं और छठें चरण के मतदान के लिए तैयारियां जोरो शोरो से चल रही हैं. अगले चरण में पूर्वांचल के सात जिलों की 49 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. यहाँ मतदान 4 मार्च को होना हैं. अब सभी दलों के बड़े छोटे नेता यहाँ के मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, बसपा प्रमुख मायावती सहित सभी पार्टियों के दिग्गज इन क्षेत्रों में मतदाताओं को अपनी उपलब्धियां व अन्य दलों की कमजोरियां गिनाने में लग गए हैं.
पांचवें चरण का मतदान भाजपा के लिए सबसे अधिक चुनोतीपूर्ण माना जा रहा हैं. इस चरण के चुनाव प्रचार में भाजपा के स्टार प्रचारक पीएम मोदी अन्य क्षेत्रो की अपेक्षा अधिक जनसभाओं को संबोदित करेंगे. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सूत्र बताते हैं कि पांच चरणों के चुनाव के बाद पूर्वांचल में होने जा रहे अंतिम दो चरणों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जन-जन से संवाद की अलग रणनीति तैयार की है.
इस चरण के चुनावों में प्रचार के लिए भाजपा अपनी सारी इसलिए भी लगा देना चाहती हैं क्यूंकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहाँ की 49 सीटों में से केवल 7 पर ही जीत हासिल कर पायी थी. इस वर्ष ऐसा न हो इसीलिए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस इलाके में ताबड़तोड़ सभाएं कर जनता से संवाद बनाने की लगातार कोशिश में हैं. फिलहाल उत्तर प्रदेश के दो दर्जन से अधिक सांसदों ने इस वक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश में डेरा डाल रखा है. इन सभी सासंदों को जनसंपर्क की जिम्मेदारी दी गयी हैं. पूर्वांचल के इन सात जिलों में जीत का मतलब केवल प्रदेश में सत्ता प्राप्त करना ही नहीं हैं बल्कि विरोधियों को यह दिखाना भी हैं कि काम भाजपा का भी बोलता हैं.
यहाँ 2012 के विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक वोट सपा को मिले थे, इसलिए सपा के नेता भी अपने जनाधार को कम नहीं होने देना चाहते. इसी के चलते समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस गठबंधन के चलते राहुल गांधी के साथ रोड शो कर रहे हैं. और अभी दोनों नेताओं के और भी रोड शो होने बाकि हैं.
बसपा सुप्रीमों यहाँ पूर्वांचल के लिए अलग राज्य की मांग करते हुए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करती दिखेंगी.