कर्नाटक के राज्यपाल ने बड़ी पार्टी होने के आधार पर बीजेपी को सरकार बनाने का पहले न्योता दे दिया जबकि उनके पास बहुमत के लिए जरुरी आंकड़े भी नहीं थे। इसी को आधार बनाते हुए अब कांग्रेस उन राज्यों में राज्यपाल पर दबाव बना रही है जहां बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस को न्योता नहीं मिला था और भाजपा ने वहां सरकार बना ली थी। गोवा, मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी, जिसके बाद अब कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस- भाजपा को उसी की रणनीति के तहत घेरने की योजना बना रही है।
मणिपुर में आगे आये इबोबी-
इसी को मुद्दा बनाते हुए मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने की मांग की है। पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने आज राज्यपाल से मुलाकात की है और कर्नाटक के हालात का हवाला देते हुए सरकार बनाने का दावा पेश करने की मांग की है।
ओकराम इबोबी सिंह ने बताया कि राज्यपाल जगदीश मुखी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वो इस मुद्दे को देखेंगे। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि राज्यपाल न्याय करेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि कर्नाटक के परिणाम के लिए कल शाम 4 बजे तक फ्लोर टेस्ट का इंतजार करना होगा। बता दें कि कल ओकराम इबोबी सिंह ने कर्नाटक में पैदा हुए हालात पर कहा था कि मणिपुर में कांग्रेस भी बड़ी पार्टी थी और इस लिहाज से उन्हें सरकार बनाने के लिए न्योता दिया जाना चाहिए था। लेकिन उस वक्त ऐसा नहीं हुआ था।
बिहार में आगे आये तेजस्वी-
राज्यपाल की ओर से कहा गया कि भाजपा को 104 सीटें होने के कारण सरकार बनाने का मौका मिला है क्योंकि भाजपा सूबे में सबसे बड़ी पार्टी है। इसी आधार पर बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि देश में दो तरह का कानून नहीं चलेगा। तेजस्वी का कहना था कि आरजेडी के पास बिहार में सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं, जो कि सबसे ज्यादा है। इस आधार पर उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया जाना चाहिए।
गोवा में भी संग्राम शुरू-
गोवा कांग्रेस ने गुरुवार को गोवा के राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा था। राज्यपाल ने कांग्रेस को शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे का वक्त दिया था। बताया जा रहा था कि कांग्रेस 16 विधायकों को राज्यपाल के सामने परेड करा सकती है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद आज कांग्रेस के 13 विधायक राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे। बता दें, गोवा में सरकार बने करीब डेढ साल हो गया है। इस सरकार को बदलना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। लेकिन ऐसा करके कांग्रेस-भाजपा पर दबाव बनाना चाहती है। अब देखना होगा क्या कांग्रेस की ये रणनीति कामयाब हो पाती है या नहीं।