बीते सोमवार की रात भारत और तमिल नाडू ने अपनी एक बहुत ही इमानदार और होनहार नेता और एक समाज सेवक को खो दिया।पिछले सोमवार को तमिल नाडू की मुख्मंत्री श्रीमती जयललिता का निधन हो गया था।उन्हें लोग अम्मा के नाम से जानते और बुलाते थे।जयललिता उर्फ़ अम्मा के निधन के बाद पूरा देश एवं तमिल नाडू सदमें में है।एक होनहार नेता खोने का ग़म हर व्यक्ति को है।जयललिता भारत के प्रमुख नेताओं में से एक थी।वह सदा देश की उन्नति के लिए लडती रही।जयललिता धर्म से हिंदु थी परन्तु फिर भी उन्हें दफ़नाया गया था।ख़बर के अनुसार जयललिता जी ने ऐसा खुद कहा था कि उनकी म्रत्यु के बाद उन्हें दफना दिया जाए और यही कारण था कि उनके हिंदु होते हुए उन्हें दफ़नाया गया।परन्तु ऐसा माना जा रहा है कि जयललिता के दफनाए जाने पर उनके कुछ घर वाले खुश नहीं थे जिसके चलते उन्होंने जयललिता जी का अंतिम संस्कार एक बार दोबारा किया।
दरअसल आपको बता दें कि जयललिता को दफ़नाने ने उनके घर वाले नाखुश थे जिसकी वजह से उन्होंने जयललिता का संस्कार एक बार फिर पूरे हिंदु रीति-रिवाज के साथ किया।अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक जयललिता के रिश्तेदारों ने उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए एक बार फिर जयललिता का अंतिम संस्कार हिंदु रीती-रिवाजों से किया।जयललिता जी के रिश्तेदारों ने श्रीरंगपटना में कावेरी नदी के तट पत उनका अंतिम संस्कार पूरे हिंदु रीती-रिवाजों के साथ किया।उनके परिवार का मानना था कि इससे जयललिता के पवित्र शरीर को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
ख़बर के अनुसार मंदिर के मुख्य पुजारी रंगनाथ लंगर ने जयललिता के अंतिम संस्कार की रस्में पूरी करवाई।आपको बता दें कि उनके अंतिम संस्कार के दोरान एक गुडिया को उनके प्राकतिक रोप में रखा गया था और गुडिया के साथ ही साड़ी रस्में संपन्न की गयी।ख़बर के अनुसार जयललिता के सोतेले भाई वरदराजू ने सभी रस्मों को पूरा किया।