कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आए थे, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और बसपा सुप्रीम मायावती भी शामिल थीं। लेकिन मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे को लेकर तकरार बनी हुई है। 2013 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो अगर कांग्रेस ने 41 सीटों पर बसपा के साथ गठबंधन किया होता तो इन सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ता। ऐसे में इस आंकड़े को ध्यान में रखते हुए दोनों दल सीटों के बंटवारे पर लगातार बातचीत कर रहे हैं, हालांकि अभी तक दोनों के बीच कोई आम सहमति नहीं बन पाई है।
मोदी के लिए बड़ी मुश्किल-
बसपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की स्थिति पर अगर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ में भाजपा को 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस-बसपा गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में होता। वहीं राजस्थान में अगर दोनों दलों के बीच गठबंधन हुआ होता तो भाजपा को 9 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता था। हालांकि मध्य प्रदेश में 41 सीटों पर हार के बाद भी भाजपा सरकार बनाने में सफल रहती, लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता से दूर हो सकती थी, अगर कांग्रेस-बसपा एक साथ आए होते।
सीटो पर चल रहीए चर्चा-
इस वर्ष नवंबर माह में तीन भाजपा शासित राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, जिसमे मध्य प्रदेश सबसे अहम है, जहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पार्टी के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती से लगातार संपर्क में बने हुए हैं। वह मायावती के साथ प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर लगातार बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सीटों को लेकर बसपा और कांग्रेस में अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई है। 2013 में बसपा ने प्रदेश की 227 विधानसभा सीटों में से 230 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 6.42 फीसदी मत हासिल हुए थे।
बदल जाएगा गणित-
गौर करने वाली बात यह है कि 2013 में भाजपा और कांग्रेस के बीच मतों का अंतर सिर्फ 8.4 फीसदी का था। लेकिन इस वोट अंतर के दम पर भाजपा ने कुल 165 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 58 सीटें ही आई थीं। अगर मध्य प्रदेश की सभी सीटों पर हुए मतदान में कांग्रेस और बसपा के मतों को एक साथ मिलाया जाए तो बसपा-कांग्रेस को 103 सीटों पर जीत हासिल हो सकती थी, लेकिन गठबंधन नहीं होने की वजह से पार्टी को 41 सीटों पर हार सामना करना पड़ा। हालांकि इस स्थिति में भी भाजपा सरकार बनाने में सफल रहती और वह 124 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी रहती।
जाहिर है की एमपी के कुछ क्षेत्रो में बीएसपी की अच्छी पकड़ है जिसके चलते कांग्रेस को फायदा होगा|