शिवसेना ने रखी बीजेपी के सामने बड़ी शर्त, 152 सीटें और मुख्यमंत्री का पद मागा

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Shiv Sena demands 152 seats in front of BJP and CM post

बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने हाल में मातोश्री जाकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात की। टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमित शाह के साथ बातचीत के दौरान उद्धव ठाकरे ने एक प्रस्‍ताव रखा। उन्‍होंने बीजेपी के सामने गठबंधन के लिए ‘बड़े भाई’ की भूमिका वाला फार्मूला भी पेश कर दिया है। फार्मूले के मुताबिक, शिवसेना अगले विधानसभा चुनाव में महाराष्‍ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 152 पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि बीजेपी समेत अन्‍य सहयोगियों के लिए 136 सीटें छोड़ने की बात कर रही है। शिवसेना ने सीएम पद भी अपने पास रखने की बात कही है। जहां तक लोकसभा चुनाव की बात है तो शिवसेना को 2014 का सीट बंटवारे का फार्मूला मानने में कोई गुरेज नहीं है। 2019 का रण बीजेपी के लिए बेहद अहम है, लेकिन शिवसेना के लिए यह अस्तित्‍व की लड़ाई है, क्‍योंकि 2019 में महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

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सूत्रों के मुताबिक, मातोश्री में मुलाकात के दौरान उद्धव ठाकरे ने जब अमित शाह के सामने 15 सीटें शिवसेना को देने का प्रस्‍ताव रखा तो जवाब में बीजेपी अध्‍यक्ष ने कहा कि वह दोबारा उनसे मिलने आएंगे और सीट शेयरिंग फार्मूले पर चर्चा करेंगे। इधर, बीजेपी में चर्चा गर्म है कि अगर समझौता होता है तो शिवसेना को 130 से ज्‍यादा विधानसभा सीटें नहीं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं अमित शाह ने महाराष्‍ट्र के शीर्ष नेताओं को 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है। बीजेपी के रणनीतिकार यह मानकर चल रहे हैं कि शिवसेना के साथ सीट शेयरिंग पर समझौता होना मुश्किल है। शिवसेना के एक वरिष्‍ठ नेता कहा कि उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ तभी गठबंधन करेंगे, जब उन्‍हें 152 विधानसभा सीटें दी जाएंगी।

Shiv Sena demands 152 seats in front of BJP and CM post

सीट बटवारे की हकीकत-

2014 में 26 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और शिवसेना 22 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। बीजेपी 26 लोकसभा सीटों में से 23 पर जीतने में सफल रही थी, जबकि शिवसेना 22 में से 18 सीटें जीती थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव आए तो दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका और बीजेपी-शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। शिवसेना ने 2014 लोकसभा चुनाव में 282 सीटों पर उम्‍मीदवार उतारे थे, जबकि उसे जीत सिर्फ 62 सीटों पर ही मिल सकी थी। दूसरी ओर बीजेपी ने 260 सीटों पर उम्‍मीदवार उतारे और वह 122 सीटों जीतने में सफल रही थी। 2014 के इन नतीजों की वजह से ही शिवसेना बैकफुट पर आ गई और बीजेपी महाराष्‍ट्र में बड़ा भाई बनकर बर्ताव करने लगी। वैसे 1990 का एक जमाना वह भी था बाला साहेब ठाकरे का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। उस समय बीजेपी 117 सीटों पर जबकि शिवसेना 171 सीटों पर चुनाव लड़ा करती थी।

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