शनि देव का नाम आते ही कई सारे लोगो को डर लगने लगता हैं क्योकि शनि की साढ़े साती कुछ ना कुछ अनिष्ट करने के लिए मशहूर हैं और कहते हैं जिसके ऊपर लगती हैं उसका कई वर्षों तक कुछ भी अच्छा काम नहीं बनता हैं |
शनि महराज की इस क्रिया के पीछे की क्यूं वो लोगो को देख ले तो उनके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और अच्छा नहीं होता हैं , तो इसके पीछे उनके पत्नी के द्वारा दिए गए श्राप की अवधारणा बताई गई हैं |
आइये हम आपको बताते हैं उसके बारे में |
शनि भगवान् सूर्य और छाया के पुत्र हैं और कृष्ण के अनन्य भक्त थे |
हिन्दू पौराणिक कथाओं में बताया जाता हैं की शनि का विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया जो की बहुत ही अधिक धार्मिक और परम तेजस्वनी थी और उनमे शनि देव से भी ज्यादा क्रोध और तेज था |
शनि हर समय कृष्ण की भक्ती में डूबे रहते थे और आँख बंद करके उनका ध्यान करते रहते थे , तो शादी के पुत्र प्राप्ति की इक्षा से एक बार उनकी पत्नी शनि महराज के पास आयी लेकिन शनि आँख मूंदे कृष्ण की अलौकिक भक्ती में मग्न थे |
बताया जाता हैं की परम तेजस्वनी उनकी पत्नी ने शनि महाराज की आँख खुलने और उनके ध्यान से बाहर आने का इन्तजार बहुत लम्बे समय तक किया लेकिन फिर भी शनि महाराज अपने ध्यान में लगन रहे | और कहते हैं की जब शनि अपने ध्यान से उठे तो उन्होंने सामने अपनी पत्नी को देखा तो इसी पहले वो कुछ बोलते की क्रोध से व्याकुल उनकी पत्नी ने उन्हें यह श्राप दिया की आपने मेरे आने के बहुत लम्बे समय तक अपनी आँखें नहीं खोली , और आज के जब आप आँख खोलेगे और किसी को देखेगे तो वह भस्म हो जाएगा |
अपने पत्नी के इस श्राप से शनि व्याकुल हो गए लेकिन दिया गया श्राप वापिस नहीं हुआ और शनि महराज को श्राप मिला |
कहा जाता हैं तभी से शनि ने अपनी गर्दन झुका ली की किसी के ऊपर उनकी दृष्टी ना पड़े और किसी को नुकसान ना हो |
शनि अगर रोहिणी शकट भेदन कर दे तो पृथ्वी पे कई सालो का अकाल पद सकता हैं |