नोटबंदी के बाद कैसे चमकें राहुल गाँधी विपक्ष की राजनीति में.

0
1054
Rahul Gandhi shines after demonitisation

आज संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन था. हमारे नेताओं संसद का पूरा सत्र नोट बंदी पर हंगामा मचाते हुए निकाल दिया. लेकिन इस संसद सत्र से राहुल गाँधी की छवि कुछ बदली सी दिखी. शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए. पीएम से मुलाकात के दौरान उन्‍हें कर्ज माफी सहित किसानों की मांग और नोटबंदी के कारण हो रही समस्‍याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा.

Rahul Gandhi shines after demonitisation

भले ही प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गाँधी में संसद में कितनी भी तल्खी हो लेकिन प्रधानमंत्री ने राहुल गाँधी से कहा. “हमें इस तरह मिलते रहना चाहिए. “ इस मुलाकात से दुसरी विपक्षी पार्टी कुछ नाराज़ नजर आयी. अन्य पार्टियों को सिर्फ कांग्रेस का प्रधानमंत्री से मिलना नहीं पचा. अब कांग्रेस शिष्‍टमंडल के साथ उनकी पीएम मोदी के साथ मुलाकात के बाद बाकी विपक्षी दलों की नाराजगी यह बता रही है कि राहुल और कांग्रेस विपक्ष की राजनीति की केंद्रीय भूमिका में आते जा रहे हैं.

अगर आप पुरे शीतकालीन सत्र की बात करें तो गत वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष राहुल गाँधी बहुत आक्रामक होकर बोले. नोट बंदी के लिए चाहें बैंक में जाकर लाइन में लगना हो या प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप लगाना. अरविन्द केजरीवालका नोट बंदी का विरोध अब PM की डिग्री पर आकर गुमराह होता दिख रहा है तो दुसरी तरफ ममता बनर्जी ने सेना को राजनीती में घसीट कर अपनी ही फजीहत करा लीं.

राहुल गांधी ने बुधवार को दावा किया था कि उनके पास पीएम नरेंद्र मोदी से जुड़ी ऐसी जानकारी है जिससे उनके ‘नोटबंदी के फैसले का गुब्‍बारा’ फूट जाएगा, लेकिन उन्‍हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल ने पत्रकारों से ‘उनके होंठों की भाषा पढ़ने’ के लिए कहा.

आज भी केवल कांग्रेस के प्रधानमंत्री से मिलने पर दुसरी विपक्षी पार्टियाँ इस लिए चिंतित नज़र आ रही है कि कहीं नोट बंदी के विरोध की लाइम लाइट केवल राहुल गाँधी और कांग्रेस की न होकर रह जाएँ.

बहुत हद तक इस सत्र ने राहुल गाँधी ने को अपने विपक्षियों पर ज़ुबानी वार करना सीखा दिया.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here