क्रिसमस धूम धाम से मनाया जाने वाला त्यौहार और इस दिन लगभग हर जगह छुट्टी रहती हैं | यह भगवन यीशु के जन्मदिवस को याद करके मनाया जाता है और कहा जाता हैं की इस दिन दुनिया में प्रकाश के रूप में भगवन यीशु आये थे और दुनिया को प्रेम का पाठ पढाया था | लेकिन क्या आप जानते है की फूलो और पप्रकाश के रंगों से सजे इस क्रिसमस ट्री की शुरू आत कैसे हुई | तो आइये हम आपको बताते हैं |
आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई। मध्यकाल में एक लोकप्रिय नाटक के मंचन के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक दिखाया गया था। क्रिसमस ट्री अर्थात क्रिसमस वृक्ष का क्रिसमस के मौके पर विशेष महत्व है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है।
कहा जाता हैं की इस प्रथा की शुरुआत चीनियों और हिबूर लोगो ने की थी | वही यूरोप वासी भी अपने घरो को सदाबहार पेड़ों से सजाते थे | उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। सदियों से सदाबहार वृक्ष फर या उसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है। प्राचीनकाल में रोमनवासी फर के वृक्ष को अपने मंदिर सजाने के लिए उपयोग करते थे। लेकिन जीसस को मानने वाले लोग इसे ईश्वर के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। हालांकि इस परंपरा की शुरुआत की एकदम सही-सही जानकारी नहीं मिलती है।
सबसे मशहूर क्रिसमस ट्री –
न्यूयॉर्क में खड़ा है रॉकफेलर प्लाजा का 2015 का क्रिसमस ट्री। ये 78 फुट लंबा और 47 फुट चौड़ा है। इस क्रिसमस ट्री की भव्यता को देख आप जरूर चौंक जाएंगे। दूर-दूर से क्रिसमस के मौके पर लोग इसको देखने के लिए आते हैं और देर तक यहां रुककर खूब एंज्वॉय करते हैं। इसके साथ दुनिया में ऐसे कई सारे क्रिसमस ट्री हैं जो की काफी मशहूर हैं और लोग वहा आते है |