खत्म होने का नाम नहीं ले रही सपा परिवार की अंतर्कलह. इस बार ये मुद्दे बने तकरार की वजह.

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SP family infighting is not coming to an end

समाजवादी पार्टी में छिड़ी चाचा भतीजे की वर्चस्व की जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच का घमासान शनिवार से ही बढ़ता दिख रहा था. शनिवार को शिवपाल यादव और अमर सिंह की मुलायम सिंह यादव से हुए मुलाकात के बाद ये तय माना जा रहा था कि सपा की अंतर्कलह फिर से सामने आने वाली हैं.

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सीटों का बंटवारा बना मुद्दा

सपा में विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर चाचा और भतीजे में शुरू से ही ठनी हुई थी. चाचा शिवपाल बहुत सी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं. ऐसे में यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी तरफ से 403 उम्मीदवारों की लिस्ट सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को सौंप दी है.

इस लिस्ट से शिवपाल यादव के बहुत से चेहेते चेहरों के नाम गायब हैं. इनमे अंसारी बंधु, अतीक अहमद और अमनमणि त्रिपाठी ऐसे नाम है जो शिवपाल के करीबी माने जाते हैं लेकिन अखिलेश यादव ने सभी नामों को अपनी लिस्ट से काट दिया. इसके बाद यादव परिवार में परेशानी पैदा होना तय था.

ट्विटर पर निकाली भड़ास

अखिलेश के इस तरह से अपने उम्मीदवारों की लिस्ट सपा सुप्रीमों को सौपने के बाद शिवपाल ने अपना गुस्सा ट्विटर के माध्यम से प्रदर्शित किया. शिवपाल ने बिना किसी का नाम लिए ट्विट किया कि पार्टी में किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जायेगी.  साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि टिकट का बंटवारा जीत के आधार पर होगा और अब तक इसी पैमाने पर 175 लोगों को टिकट दिया जा चुका है.सपा की ओर से अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर भी शिवपाल यादव ने यह ट्वीट करके संशय बढ़ा दिया कि मुख्यमंत्री का फैसला भी पार्टी के संविधान के मुताबिक विधायक दल की बैठक में होगा.

गायत्री प्रजापति बने वजह

गायत्री प्रजापति को शिवपाल यादव का करीबी माना जाता हैं. फिलहाल गायत्री प्रजापति अखिलेश सरकार में परिवहन मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं. आपको बता दें कि एक बार  गायत्री प्रजापति को अखिलेश यादव अपने मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा चुकें हैं. मुलायम सिंह के दखल के बाद ही गायत्री प्रजापति की यूपी मंत्री मंडल में वापसी हुई थी. रविवार को मुलायम सिंह ने  गायत्री प्रजापति को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया था. राजनितिक गलियारों में अखिलेश द्वारा नये उमीदवारों की लिस्ट सौपें जाना इसी वार का पलटवार भी समझा जा रहा हैं.

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