समाजवादी पार्टी में चल रहे संकट के बाद यूपी का केवल मुस्लिम मतदाता ही दुविधा में नहीं हैं बल्कि ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश के दलित समाज का भी हैं. अभी तक दलित समाज बसपा में अपना भविष्य देख रहा था लेकिन अब बसपा से दलितों का भरोसा उठने लगा है. इसका एक कारण तो ये हैं कि इस बार बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकेट देने में अधिक रूचि दिखाई हैं. और इसका दूसरा कारण हैं कि 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के बाहर होने के बाद 2014 के लोकसभा चुनावो बसपा को एक सीट पर भी जीत नहीं मिली. ऐसी परिस्थितियों में दलितों को सत्ता में अपनी पहचान का संकट दिखाई दे रहा हैं.
दलित को अभी तक सिर्फ बसपा का ही सहारा था लेकिन अब सभी राजनितिक दल प्रदेश के दलित समाज को लुभाने में लगे हैं.
बसपा ने इस बार बदली अपनी रणनीति.
पिछले विधानसभा चुनावों में और लोकसभा चुनावों में बसपा ने अपनी हार से कुछ सीख तो अवश्य ली ही होगी. शायद इसी कारण इस बार के विधानसभा चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती ने चुनावों की घोषणा से पहले ही ब्राहमण, पिछड़े वर्ग व मुस्लिम पदाधिकारियों को अपनी सुरक्षित सीटों पर भाईचारा सम्मेलन बुलाने के लिए कहा. मायावती ने अपनी सभी सुरक्षित 86 सीटों पर दलित प्रत्याशियों को अवसर देकर फिर से दलित समुदाय में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की हैं.
कांग्रेस ने निकली दलित स्वाभिमान यात्रा
दलितों ने सबसे अधिक भरोसा कांग्रेस पर ही दिखाया था लेकिन पिछले ढाई दशक में दलितीं का कांग्रेस से ऐसा मोह भंग हुआ हैं कि कांग्रेस दोबारा से दलितों की आँख में चढ़ नहीं सकी. अब कांग्रेस प्रदेश के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए दलितों को लुभाने में लगी हैं. इसके लिए कांग्रेस ने दलित छात्रों को केजी से पीजी तक की मुफ्त शिक्षा का वादा किया हैं. दलितों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने दलित स्वाभिमान यात्रा में दलितों से 8 वादें भी किये.
सपा ने शुरू की परिनिर्वाण दिवस की छुट्टी
समाजवादी पार्टी ने दलितों को कभी अपना वोट बैंक नहीं समझा. यही कारण सपा ने सत्ता में आते ही डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस की छुट्टी को रद्द कर दिया था. अब दलित समाज को लुभाने के लिए अखिलेश यादव ने परिनिर्वाण दिवस की छुट्टी फिर से बहाल की हैं.
भाजपा ने बसपा के कई नेताओं को शामिल किया अपनी पार्टी में
पीएम मोदी ने BHIM एप्प लांच करके दलितों को भीम राव आंबेडकर की और अपने रुझान को दिखाया. साथ ही बहुत से बड़े दलित नेताओं को अपनी पार्टी में करके भी दलितों के मन में अपनी जगह बनाने की कोशिश की हैं.