ऋतिक रोशन की फिल्म कल सिनेमाघरों में रिलीज हो गई , अगर आप देखने जाना चाहते हैं तो पढ़ ले काबिल का रिव्यु
राकेश रोशन बदले की कहानियां फिल्मों में लाते रहे हैं। ‘खून भरी मांग’ और ‘करण-अर्जुन’ में उन्होंने इस फॉर्मूले को सफलता से अपनाया था। उनकी फिल्मों में विलेन और हीरो की टक्कर और अंत में हीरो की जीत सुनिश्वित होती है। हिंदी फिल्मों के दर्शकों का बड़ा समूह ऐसी फिल्में खूब पसंद करता है, जिसमें हीरो अपने साथ हुए अन्याय का बदला ले।
फिल्म की कहानी –
ये कहानी है डबिंग आर्टिस्ट रोहन भटनागर (रितिक रोशन) की , जिसकी जिंदगी दिन में डबिंग स्टूडियो और रात को घर पर गुजरती है. रोहन की एक ही तमन्ना है कि उसको एक ऐसा हमसफ़र मिले जिसके साथ वो अपनी सारी जिंदगी गुजार सके. तभी रोहन की जिंदगी में सुप्रिया (यामी गौतम) की एंट्री होती है और रोहन के व्यक्तित्व को देखकर सुप्रिया काफी इंप्रेस होती है और दोनों शादी कर लेते हैं। दोनों दिव्यांग होते हुए भी एक दूसरे के प्यार में खोये रहते हैं तभी अचानक एक दिन ऐसा आता है जब कॉर्पोरेटर माधवराव शेल्लार (रोनित रॉय) और अमित शेल्लार (रोहित रॉय ) की वजह से रोहन की जिंदगी से सुप्रिया हमेशा के लिए चली जाती है. इसका बदला लेने के लिए रोहन प्लान बनाता है और अंततः सच की जीत होती है।
एक्टिंग –
ऋतिक रोशन की बेहतरीन अदाकारी एक बार फिर से देखने को मिली है जो आपको इमोशनल करने के साथ सोचने पर भी विवश करती है। यामी गौतम और ऋतिक ने दिव्यांग किरदार बखूबी निभाया है. रोनित रॉय और उनकी डायलॉग डिलीवरी भी कमाल की है. नरेंद्र झा और सुरेश मेनन का काम भी सहज है। हालांकि फिल्म की कहानी के बारे में तो ट्रेलर से पता चल ही गया था, बावजूद इसके फिल्म देखते वक्त बोरियत नहीं होती. यही फिल्म का यूएसपी है। फिल्म के गानों की खासियत हे कि वो कहानी को आगे लेकर जाते हैं। फिल्म की सिनोमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है जो कि संजय गुप्ता की फिल्मों की खासियत भी है।
साउंड और कैमरा –
तकनीकी तौर पर पर भी यह फिल्म बहुत शानदार है। सुदीप चटर्जी ने कैमरे और रेसुल पुकुट्टी ने साउंड पर बेहतरीन काम किया है। दूसरी ओर, राजेश रोशन ने बीते जमाने के हिट्स ‘सारा जमाना’ और ‘दिल क्या करे’ को नया अवतार दिया है, जो ठीक-ठाक है।
कुल मिलकर फिल्म को पैसा वसूल कहा जा सकता हैं