पहले दो चरणों में बीजेपी से हटा जनता का रुझान , अब नमो नाम का सहारा
यूपी का गढ़ जीतने के लिए प्रधानमंत्री मोदी समते बीजेपी की एक बड़ी फ़ौज लगी हुई हैं और सब अपना पूरा जोर लगा रहे हैं लेकिन पहले दो चरणों के चुनावों में बीजेपी खुश नहीं दिख रही हैं क्योकि उसके खाते में जाहिर हैं की कम वोट आये हैं |
बदल गई पहले दो चरणों की रणनीति –
पहले दो चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ उनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं। बीजेपी के आंतरिक आंकलन में पार्टी को शुरुआती दो चरण में वो सफलता नहीं मिली है जिसकी उन्होंने उम्मीदें लगाई थी। इसी के साथ पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव की योजना भी बनाई है। पार्टी एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव प्रचार आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है।
“ मोदी ” नाम का सहारा –
बीजेपी की ओर से कराए गए आतंरिक सर्वे में जो बातें उभरकर सामने आई हैं उसमें प्रधानमंत्री मोदी की इमेज और उनका संबोधन पार्टी के लिए बड़े फायदे का सौदा हो सकता है। सर्वे में पता चला है कि पार्टी का लोकल नेतृत्व और संगठन लोगों के बीच अपने प्रभाव को मजबूत करने में असफल रहा है। इनमें वो लोग भी हैं शामिल हैं जो पारंपरिक तौर पर बीजेपी से जुड़े रहे हैं।
बीजेपी का आखिरी दाँव –
बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश इकाई को जमीन पर ज्यादा से ज्यादा काम करने के लिए कहा है साथ ही एनडीए सरकार में किसानों के लिए उठाए गए कदम को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित-प्रसारित करने के लिए कहा है। बीजेपी नेताओं का दावा है कि उन्हें गैर-यादव ओबीसी वर्ग का समर्थन मिलेगा, जिनमें सैनी, कुर्मी, मौर्या, कोयरी और लोध शामिल हैं। 2014 में बीजेपी के 28 ओबीसी उम्मीदवारों में 26 ने जीत हासिल की थी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी नेता हैं। पार्टी का मानना है कि अगर गैर-जाटव दलित और गैर यादव ओबीसी वोटर बीजेपी के समर्थन में आ जाते हैं तो बीजेपी को यूपी में जीत की उम्मीदें बढ़ जाएंगी। पार्टी के आतंरिक सर्वे बताते हैं कि बीजेपी को प्रधानमंत्री मोदी की साफ छवि का फायदा मिल सकता है।