उत्तर प्रदेश में चुनाव के चौथे चरण में 12 जिलो की 53 सीटों के लिए मतदान हो चूका हैं. चुनाव में भाग ले रही सभी राजनीतिक पार्टियों का फोकस पूर्वांचल पर शिफ्ट हो गया है. इस चुनावी समर में आगे की लड़ाई यूपी के जिन इलाकों में होनी है उसमें पूर्वांचल सबसे महत्वपूर्ण है. सभी दल खुद को इन चुनावों में पहले नंबर पर बता रहे हैं. लेकिन पार्टी के भीतर क्या चल रहा हैं हैं ये बात पूरी तरह से सामने नहीं आ रही हैं. हाल ही में ऐसी खबरें आ रही हैं कि भाजपा के बड़े नेता अपनी ही पार्टी के बागियों से परेशान हैं. चौथे चरण के मतदान के बाद बीजेपी ने अपने बागी नेताओ पर सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है.
भाजपा के शीर्ष नेताओं कप पूर्वांचल की 28 जिलों की 117 विधानसभा सीटों का महत्व पता हैं. बागी नेताओं ने अपने बिगड़े बोलो के चलते पार्टी व पार्टी के उम्मीदवारों की बहुत फजीहत भी करा ली हैं . इसी के चलते पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने फैसला लिया कि पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों से पार्टी सख्ती ने निबटेगी. ताकि पार्टी में संदेश जाए कि बगावत बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
भाजपा में बगावत के पीछे का मुख्य कारण बाहरी नेताओं को टिकट मिलना हैं. उसके बाद टिकट ना मिलने से नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बगावत कर दी. भाजपा के अन्दर की कलह को शांत करने के लिए यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने पार्टी आलाकमान के आदेश के बाद पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले 18 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है.
बागियों से पीएम मोदी का संसंदीय क्षेत्र वाराणसी भी अछुता नहीं रहा हैं. इसलिए ये भी समझा जा सकता हैं कि इस निष्कासन के पीछे का कारण अन्य नेताओं को ये चेतावनी देने का भी हैं कि पार्टी अब किसी भी प्रकार की बगावत को सहन नहीं करेगी. जिन 18 नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया हैं उनमें कौशांबी, इलाहाबाद, आजमगढ़, कुशीनगर, महाराजगंज, संत कबीर नगर और मऊ जिले के नेता हैं. केवल उत्तर प्रदेश के नेताओं पर ही यह एक्शन नहीं लिया गया हैं बल्कि उत्तराखंड में 60 बगावती नेताओं और कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया गया है.