यूपी चुनाव : बीजेपी में इन्ही में से कोई एक होगा सीएम उम्मीदवार

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Not only from opponents, the rebels are also upset Shah and Modi

यूपी में लगभग हर एक पार्टी ने अपने सीएम पद का चहेरा सामने ला दिया हैं लेकिन केंद्र में काबिज और खुद को चौथे चरण तक ही जीता हुआ घोषित कर चुकी बीजेपी ने अभी तक इसका खुलासा नहीं किया हैं | लेकिन ये कहा जा रहा हैं की कुछ चहरे हैं जो की सीएम पद की पूरी दावेदारी पेश कर चुके हैं और इन्ही में से कोई एक सीएम का उम्मीदवार होगा |

Not only from opponents, the rebels are also upset Shah and Modi

योगी आदित्यनाथ –

यूपी चुनाव से पहले सिर्फ पूर्वांचल में सीमित रहे योगी को बीजेपी स्टार प्रचारक बनाया और उन्होंने पश्चिमी यूपी में पार्टी के लिए धुआंधार प्रचार किया। उन्होंने सबसे ज्यादा रैलियां कीं और वोट जुटाने की हर संभव कोशिश की है। बीजेपी जीतती है तो उसरा श्रेय योगी आदित्यनाथ को भी मिलेगा। वह बीजेपी से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। चुनाव से पहले भी उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित करने की मांग उठी थी।
केशव प्रसाद मौर्य –

यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। संघ से जुड़े रहे केशव मौर्य का पार्टी से पुराना नाता है और वह प्रदेश की सियासत से अच्छी तरह वाकिफ भी हैं। केशव प्रसाद बीजेपी के उस फॉर्मूले पर भी फिट बैठते हैं, जो कल्याण सिंह के समय था।

मनोज सिन्हा –

पूर्वांचल से आने वाले मनोज सिन्हा फिलहाल केंद्रीय रेल राज्यमंत्री हैं। मोदी उनके काम की तारीफ भी कर चुके हैं। यूपी चुनाव में पूर्वांचल पर खास फोकस करने वाली बीजेपी सिन्हा को यह पद दे सकती है।
दिनेश शर्मा –

लखनऊ के मेयर और बीजेपी नेता दिनेश शर्मा को पार्टी ने लगातार बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। 2014 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने पार्टी के सदस्यता अभियान को गति दी और बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दर्जा दिलाया। 2014 में राजनाथ सिंह को जब लखनऊ से उम्मीदवार बनाया गया तो दिनेश शर्मा ने अपनी दावेदारी वापस ले ली थी। पार्टी उन्हें इन सब कामों का इनाम दे सकती है।
ये चहरे भी हो सकते हैं –

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और उमा भारती के पास इस पद का अनुभव भी है। हालांकि राजनाथ सिंह पहले ही इनकार करते रहे हैं कि वे राज्य की राजनीति में वापस नहीं जाना चाहते। वहीं उमा भारती की उम्र और कामकाज के नजरिए को देखते हुए थोड़ा संशय है कि पार्टी उन्हें इस पद के लिए चुने।

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