आजकल टीवी पर एक ऐड दिन में कई बार देखने को मिलता है “अलार्म अभी बजा नहीं… अलार्म ज़रा बजने तो दो”| ये अलार्म क्या है और हम में से कितने लोग हैं जिन्होंने इस पर थोडा भी ध्यान दिया हो, या अन्य ऐड की तरह इसे भी देखकर चैनल चेंज कर दिया| एक बात जो जेहन में हमेशा गूंजती है क्या सिर्फ सोशल नेट्वर्किंग साइट पर नारी सशक्तिकरण की बड़ी बड़ी बातें करने से कोई क्रांति हो सकती है| ये बात जब मैंने कुछ लोगो से पूछी तो कहना था “हाँ जरुर हो सकती है, किसी भी पोस्ट में चंद मिनटों में ढेरो लाइक कमेंट आ जाते हैं और शेयर करने में कितना समय लगता है” लेकिन क्या बात सिर्फ लाइक कमेंट और शेयर तक की सीमित रह जाती है|
आज नारी सशक्तिकरण दिवस है और ‘नारी सशक्तिकरण’ के इस नारे के साथ प्रश्न उठना लाजमी है कि “क्या महिलाएँ सचमुच में मजबूत बनी है और क्या उसका लंबे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है?” हमे तो ऐसा बिलकुल नहीं लगता और इस बात के हजारों लाखों प्रमाण हमारे पास हैं| जिसका एक जीता जागता उदाहरण है “लक्ष्मी अग्रवाल”| हालाँकि गिरकर उठना तो कोई इनसे सीखे, जब लक्ष्मी सिर्फ 15 साल की थी तब इनपर एक 32 साल के एक आदमी में एसिड अटैक किया था| पूरा चेहरा बुरी तरह से झुलस गया| हम और आप तो कल्पना भी नहीं कर सकते कि लक्ष्मी ने कितनी तकलीफों को झेला होगा और इन परेशानियों को झेलते हुए एक बार फिर से अपने पैरों मे खड़ी हुई| इतना ही नहीं लक्ष्मी तो ऐसी हजारों महिलाओं का सहारा बन कर भी सामने आई जो एसिड का शिकार हो चुकी है, जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके हैं|
वैसे तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में आधी आबादी महिलाओं की है इसलिये देश को पूरी तरह से शक्तिशाली बनाने के लिये महिला सशक्तिकरण बहुत जरुरी है। उनके उचित वृद्धि और विकास के लिये हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने के उनके अधिकार को समझाना महिलाओं को अधिकार देना है। महिलाएँ राष्ट्र के भविष्य के रुप में एक बच्चे को जन्म देती है इसलिये बच्चों के विकास और वृद्धि के द्वारा राष्ट्र के उज्जवल भविष्य को बनाने में वो सबसे बेहतर तरीके से योगदान दे सकती है। महिला विरोधी पुरुष की मजबूर पीड़ित होने के बजाय उन्हें सशक्त होने की जरुरत है। नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में महिलाओं को अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें।
पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने ने कहा था कि “लोगों को जगाने के लिये महिलाओं का जागृत होना जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है।“ भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना बहुत जरुरी है जो दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी के रूप में हमारे सामने खड़ी है| जहाँ एक ओर भारत अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिये विश्व में प्रसिद्ध है वहीँ ये अपने पुरुषवादी राष्ट्र के रुप में भी जाना जाता है। यहाँ पर पुरषों की हर बात का पालन करना महिलाओं का धर्म माना जाता है| फिर चाहे वो गलत ही क्यों न हो| अगर आज भी समाज इस रुढिवादिता पर तनिक भी विश्वास रखता है तो नारी सशक्तिकरण की बात करना ही बेकार है|
हम तो बस यही कहना चाहते है है कि हमे किसी अलार्म की जरूरत नहीं है अगर हम सब सिर्फ अपनी सोच बदल ले तो समाज को बदलने के लिए इतना काफी होगा| हमे किसी क्रांति या किसी अनशन की भी जरूरत ही नहीं पड़ेगी और वैसे भी हम कुछ ज्यादा नहीं मांगते बस कुछ अच्छा करने की थोड़ी आज़ादी और सिर उठाकर इस समाज में जीने की अभिलाषा ही हम नारियों को परिपूर्ण बना देगी और ऐसा करने के लिए हमे आपके साथ की जरुरत है|
This article is contributed by –प्रियंका वर्मा