पिछले महीने 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नाम सन्देश में 500 व 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा करके अमीर व गरीब सभी वर्ग के लोगों को झटका दे दिया. इस घोषणा को एक महिना पूरा हो गया है. इस एक महीने में सरकार के इस कदम की तारीफ और आलोचना दोनों ही हुई.
अभी तक एटीएम के सामने लगी लाइन खत्म नहीं हो रही. लेकिन साथ ही कैशलेस लेन-देन में 70 फीसदी तक की बढ़ोतरी भी हुई. जानते है कि एक महीने बाद क्या असर रहा नोट बंदी का.
- आरबीआई ने वित्त वर्ष 2016 के लिए देश की जीडीपी दर के अनुमान को 6 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है. इसका कारण नोट बंदी बताया जा रहा है.
- नोटबंदी के ठीक बाद देश के पढ़े-लिखे लोगों के बीच क्रेडिट-डेबिट और पेटीएम जैसे माध्यमों का इस्तेमाल बढ़ गया.
- अनुमान लगाए जा रहे हैं कि विकास दर 5 से 6.5 फीसदी तक नीचे रहेगी. हालाँकि यदि निवेश बढ़ता है तो विकास दर ऊपर भी जा सकती है.
- नोटबंदी के बाद छोटे-बड़े सभी लोगों के बीच दूध, सब्जी और मोबाइल रिचार्ज जैसे कामों के लिए कैशलैस भुगतान का इस्तेमाल बढ़ा.
- नोटबंदी से देश के तमाम राज्यों जैसे यूपी, उत्तराखंड, बिहार झारखंड में रबी की फसलों की बुवाई धीमी हो गई.
- जिन लोगों ने काले धन की बड़ी राशि अपने घरों में जमा कर रखी है उन्होंने इन नोटों के रद्दी हो जाने के डर से नोटों को गंगा में बहाया, जलाया और दान में दिया. इससे वो लोग बहुत खुश हुए जी ईमानदारी से काम करते है.
- जगह जगह से नयी और पुरानी करेंसी के रूप में कई करोड़ का काला धन भी बरामद किया गया.
इस फैसले के एक झटके में 15 लाख करोड़ रूपये बाजार से हटा लिए गये. यानि अब आरबीआई को 86 फीसदी करेंसी को बदलना पड़ेगा. इसमें एक या दो महीने से अधिक का ही समय लगेगा. इसके साथ भी इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि इस एक कदम से देश ने कैशलैस क्रांति की ओर एक और कदम बढ़ाया है.