मुस्लिम धर्म में प्रचलित तीन तलाक को आज सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य कर दिया हैं और इसे पूरी तरह से ख़तम करते हुआ केंद्र सरकार को ये आदेश दिया हैं की इस्पे छ महीने के अंदर नियम बनायें जाएँ | साथ ही कोर्ट ने यह साफ किया है कि अगले छह महीने तक तीन तलाक पर रोक रहेगी। कोर्ट ने तमाम राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर आपसी मतभेद को अलग रखकर केंद्र सरकार को तीन तलाक पर कानून बनाने में मदद करने को भी कहा है।
क्या हैं तीन तलाक
मुस्लिम महिलाओं को बिना उनके मर्जी से उनके शौहर का छोड़ के चले जाना तीन तलाक हैं | आज के समय में यह फ़ोन पे भी दिया जाने लगा था जो की समाज में एक नयी बुराई को जन्म दे रहा था |
किसने लगाईं थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शायरा बानो, आफरीं रहमान, गुलशन परवीन, इशरत जहां और अतिया साबरी की अपील के बाद शुरू हुई थी। सभी की ओर से तीन तलाक के अलावा निकाह हलाला और बहुविवाह के मुद्दे पर याचिका दायर की गई थी लेकिन फैसला केवल तीन तलाक पर आया है।
कौन जज साथ में कौन खिलाफ –
तीन तलाक मुद्दे पर पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की, इस दौरान दो जज तीन तलाक के समर्थन में थे जबकि तीन जजों ने इसका विरोध किया और इसे असंवैधानिक करार दिया है। पांचों जजों ने मामले की सुनवाई करते हुए बहुमत से तीन तलाक को अवैध और रद्द करार दिया है। आपको बता दें कि इस तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने सुनवाई की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरिएन जोसेफ, आरएफ नतीमन, यूयू ललित और एस अब्दुल नजीर शामिल थे