इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन तलाक को बताया गैर संवैधानिक. साथ ही इलाहाबाद होग कोर्ट ने पर्सनल ला बोर्ड पर भी टिप्पणी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोर्ट ने कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है. साथ ही तीन तलाक को महिलाओं के साथ क्रूरता भी बताया.
क्या कहा अदालत ने
अदालत ने साफ साफ कहा कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है. जस्टिस सुनीत कुमार की एकलपीठ ने दो अगल-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया. कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने को क्रूरता और महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन माना है.
धर्म से जुड़े हर फैसले की तरह इस फैसले के आते ही इस पर राजनीती शुरू होने की पूरी आशंका है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद तीन तलाक का मुद्दा एक बार फिर गरमा जाएगा.
क्या उत्तर प्रदेश के चुनावों पर होगा असर
बीते दिनो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन तलाक पर अपना रुख रखने को कहा था. जिनमे केंद्र सरकार ने तीन तलाक का समर्थन नहीं किया था. इसके बाद से ही इस मुद्दे पर राजनीती चल रही है. मुस्लिम समाज के एक वर्ग ने तीन तलाक में किसी तरह के बदलाव का जमकर विरोध किया था. मुस्लिम उलेमाओं ने भी इसे अपने धार्मिक अधिकारों का हनन माना. मुस्लिम वर्ग के लोगों ने इसका जवाब UP में आने वाले विधान सभा चुनावो में देने की बात भी कही थी.
मुस्लिम महिलाऐं भी विरोध में
तीन तलाक से महिलाऐं ही प्रभावित है. सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी महिलाओं ने तीन तलाक को चुनोती दे रखी है. साथ ही सरे इस्लामिक देशों जैसे मलेशिया, सऊदी अरब , इराक और पाकिस्तान में भी ट्रिपल तलाक को मंजूरी नहीं है.