अपने हक़ की माग कर रहे आल इंडिया किसान महासभा लगभग तीस हजार किसान आज थाणे पहुचे | किसान 12 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे। बता दें कि ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के बैनर तले किसान आंदोलन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह पहली बार है जब किसान अपने परिवार के साथ सड़कों पर उतरे हैं। हर शहर से इस आंदोलन में किसान जुड़ते जा रहे हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर इनकी मांग पूरी नहीं की गई तो ये विधानसभा का अनिश्चितकालीन घेराव करेंगे। 5 मार्च से शुरू हुए प्रदर्शन के बाद किसानों का यह जत्था अभी ठाणे के शाहपुर में है जो कि मुंबई से 73 किलोमीटर दूर है। किसानों का यह समूह नासिक से मुंबई यानि 180 किलोमीटर का मार्च निकाल रहा है। रोजाना ये किसान तीस से पैंतीस किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रहे हैं।
लगभग 1700 किसान कर चुके है आत्महत्या –
किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार के ऊपर किसान विरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया है। एआईकेएस के सचिव राजू देसले ने कहा, ‘पिछले साल राज्य की बीजेपी सरकार के द्वारा किसानों के सशर्त 34,000 करोड़ रुपये की कर्ज माफी की घोषणा के बाद जून महीने से अब तक 1,753 किसानों ने खुदकुशी कर ली है।’ महाराष्ट्र में किसानों की कर्ज माफी एक बड़ा मुद्दा रहा है क्योंकि यहां देश भर में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं। यही वजह रही कि राज्य की सत्तारुढ़ बीजेपी-शिवसेना की सरकार ने सत्ता में आने के साथ ही किसानों की कर्ज माफी का ऐलान किया था।
इस माग को लेकर हो रहा उग्र प्रदर्शन –
किसानों की सबसे बड़ी मांग कर्जमाफी है। बैंकों से लिया कर्ज किसानों के लिए बोझ बन चुका है। मौसम के बदलने से हर साल फसलें तबाह हो रही है। ऐसे में किसान चाहते हैं कि उन्हें कर्ज से मुक्ति मिले। संगठनों का तर्क है कि महाराष्ट्र के अधिकतर किसान फसल बर्बाद होने के कारण बिजली बिल नहीं चुका पाते हैं। इसलिए उन्हें बिजली बिल में छूट दी जाए। फसलों के वाजिब दाम की मांग किसान लंबे समय से कर रहे हैं। सरकार ने हाल के बजट में भी किसानों को एमएसपी का तोहफा दिया था, लेकिन कुछ संगठनों का मानना था कि केंद्र सरकार की एमएसपी की योजना महज दिखावा है। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें भी लागू करने की मांग किसान कर रहे हैं।
आपको बता दे की ऐसा पहली बार नहीं है जब किसान सडको में आये हो बल्कि ऐसा कई बार हो चुका है लेकिन उनकी मांगो को सरकारे दरकिनार कर देती है | इस बार किसान करो या मरो के संकल्प से आये है और उनका कहना है की हम अपनी मांगो को मनवा के ही रहेगे |