बचपन जीवन की एक ऐसी स्टेज होती है जहां हम किसी भी परेशानी, मजबूरी, टेंशन वह सारी चीजों से अनजान अपनी मस्ती में खोए रहते हैं। खाना, पीना ,सोना, खेलना, हंसना और रोना शरारत करना करना बस ऐसे ही कुछ मस्तियों के साथ बचपन निकल जाता है। बच्चों को ड्राइंग व कलरिंग का शौक भी बहुत होता ही है। तो बस बड़ों के हाथ में पेन या पेंसिल देख बच्चे भी पेन या पेंसिल हाथ में पकड़कर अपनी कला दिखाना शुरू कर देते हैं। चाहे उसका इस्तेमाल करना जानते हो या नहीं पर जो चीज उनके मन को भा गई वह उनको चाहिए हर कीमत पर। ऐसे ही एक 2 साल की बच्ची ने खेल-खेल में किया कुछ ऐसा कि सब हक्के-बक्के रह गए।
पेंसिल का खेल पड़ा भारी……
2 साल की बच्ची अपने बेडरुम में बैठी खेल रही थी तभी मैं पेंसिल से कोई ड्राइंग करने लगी। बड़ी उत्साहित होकर वह बेड से उतर पर जैसे ही ड्राइंग को माता-पिता को दिखाने के लिए जाने लगी तभी उसका पैर फिसल गया और अचानक से पेंसिल सीधी उसकी आंख में जा घुसी। आंख से होकर पेंसिल सीधी उसके दिमाग में चली गई। बच्ची जोर से चिल्लाई जिसे देखकर माता-पिता घबरा गए है ,और तुरंत उसे हॉस्पिटल लेकर गए ।डॉक्टर्स भी देखकर हैरान रह गए और तुरंत उसका स्कैन किया जिसमें पता चला कि उसे काफी सीरियस चोट लगी है।
क्योंकि पेंसिल आप से होती हुई दिमाग में घुस गई थी। डॉक्टर ने जल्द ही उसको विशेषज्ञ के पास भेज दिया। बच्ची के हाथ पैर में चोट लगी आसानी से संभाली जा सकती है पर यदि आंख कान नाक आंख और दिमाग में कोई चोट लग जाए तो वह बड़ी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है ऐसा ही कुछ मानना बच्ची के पिता मार्टिन का भी है। जो उस वक्त अपनी बच्ची की दशा देखकर बहुत दुखी थे। उनका कहना था कि ऐसी जगह पर चोट लगने से बच्चे के साथ बड़ी अनहोनी होने का खतरा रहता है। और उसकी आंख में घुसी हुई पेंसिल से होने वाले दर्द का तो हम अनुमान नहीं लगा सकते हैं।
यह तो वह बच्ची बहुत लकी थी कि उसकी मां एक नर्स थी। उसने समझदारी दिखाई और उस पेंसिल को अपने हाथ से बाहर निकालना सही नहीं समझा ,और तुरंत दूसरे अस्पताल में न्यूरो सर्जन के पास ले गई। यहां डॉक्टर ने बताया कि आपकी बच्ची वाकई में बहुत सौभाग्यशाली है, जो पेंसिल दिमाग से 1 मिली मीटर की दूरी पर है यदि पेंसिल एक मिलीमीटर और अंदर चली जाती तो बच्चे का दिमाग डैमेज होने के साथ-साथ बच्चे की मौत हो सकती थी। इसके साथ-साथ डॉक्टर ने इलाज के समय यह भी बताएं कि पेंसिल अंदर जाने से बच्चे की आंख पर कोई असर नहीं पड़ा है उसकी आंख की रोशनी नहीं गई है वह अब इस बात में भी बहुत लकी रही।
डॉक्टर्स की टीम को बच्चे की आंख से पेंसिल निकालने में कई घंटे लग गए पेंसिल को आंख से बाहर निकालने के लिए बच्ची के आधे सिर के हिस्से को काटना पड़ा। पेंसिल का कोई अवशेष अंदर ना रह जाए इसके लिए डॉक्टर ने उसके दिमाग को एंटीबायोटिक से धोया। ताकि उसके दिमाग में कोई इन्फेक्शन ना हो जाए। आंखें में डॉक्टर नेम बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक प्लेट और स्क्रू की सहायता से बच्ची के सर को जैसे का तैसा जोड़ भी दिया। इस दर्दनाक ऑपरेशन के बाद उस बच्ची को 3 हफ्ते तक हॉस्पिटल में रखा गया। उसके बाद उसे घर जाने की अनुमति दी गई। अबे पहले से बेहतर है और धीरे-धीरे उसके घाव भी रिकवर हो रहे हैं। कहा जाता है कि भगवान का दूसरा रूप डॉक्टर होते हैं और इस बच्ची के साथ हुई दुर्घटना।
बरहाल हमें अपने छोटे बच्चों का ध्यान अच्छे से रखना चाहिए इस बात से हमें यह सबक जरूर मिलता है।
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