मानहानि के कई मुकदमे झेल रहे दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पिछले कुछ दिनों में कई बड़े नेताओं से माफी मांगी है। सबसे पहले उन्होंने अकाली दल के नेता विक्रमजीत सिंह मजीठिया से माफी मांगी। उसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और फिर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से अरविंद केजरीवाल ने माफी मांगी। इस मामले में आम आदमी पार्टी की ओर से साफ कहा गया है कि हम लोगों की सेवा के लिए आए हैं। हालांकि जिस तरह से ये केस कोर्ट में चल रहे हैं, वहां जाने का समय हमारे पास नहीं है। ऐसे में हम इन मामलों में खत्म करना चाहते हैं। आम आदमी पार्टी की ओर से दी गई सफाई के बाद अगर आप यह समझ रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल का हृदय परिवर्तन हो गया है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के माफी अभियान की मुख्य वजह भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय हैं।
ये है प्लान –
जानकारी के मुताबिक बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सर्वोच्च अदालत उनकी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें मुख्य रूप से 3 मांग की गई है। पहली मांग है कि सांसदों-विधायकों के मुकदमों को एक साल में निस्तारित करने के लिये देश के प्रत्येक जिले में एक स्पेशल कोर्ट बनाई जाए। दूसरी मांग है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध हो। अभी चुनाव लड़ने पर मात्र 6 साल का प्रतिबंध है। तीसरी मांग है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध हो। अभी इस प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं है इसीलिए सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव-ओमप्रकाश चौटाला जेल से ही पार्टी चला रहे हैं। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी पहली मांग स्वीकार कर ली है और स्पेशल कोर्ट बनाने का आदेश दे दिया है। सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर सोमवार 26 मार्च को सुनवाई है। इस मामले पर सर्वोच्च अदालत से कोई फैसला आए इससे पहले ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने इस संबंध में मंथन किया और रणनीति के तहत मामले में माफी मांगकर केस खत्म करने की रणनीति को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया।
शुरू किया था माफ़ी अभियान –
दरअसल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ करीब 33 मुकदमों की सुनवाई अब स्पेशल कोर्ट में होगी। ऐसी सूरत में इन मामलों में किसी न किसी को सजा भी होगी। अगर सजा हो गई तो उनके चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लग सकता है। ऐसी स्थिति नहीं आए इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने माफी अभियान शुरू किया है।