बीजेपी की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रहीए है| जहाँ एक ओर टीडीपी और शिव सेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया वही अब खुद के विधायक भी बागी होने लगे है| सीएम योगी और दलित सांसदों के बीच नराजगी की दरार लगातार बढ़ती जा रही है। यूपी के रॉबर्ट्सगंज से पार्टी के दलित सांसद छोटेलाल खरवार ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शिकायत की है। दलित सांसद ने पत्र में यूपी सरकार द्वारा जबरन उनके घर कब्जाने और उसे जंगल की मान्यता देने की आरोप लगाया है। दलित सांसद छोटेलाल ने कहा है कि जिले के अधिकारी उनका उत्पीड़न कर रहे हैं।
लगाया ये आरोप –
उनका आरोप है कि वह इस मामले के सिलसिले में दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल चुके हैं, लेकिन सीएम योगी ने उन्हें डांटकर भगा दिया। इस घटना के बाद बीजेपी सांसद ने पीएम मोदी से इंसाफ की गुहार लगाई है। इस शिकायत पत्र में सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र पांडेय और संगठन मंत्री सुनील बंसल का नाम शामिल किया है।
पहले भी हुआ है ऐसा –
ये पहला मौका नहीं है जब यूपी के किसी बीजेपी नेता ने सीएम योगी से नाराजगी जताई है। इससे पहले भाजपा की ही दलित सांसद सावित्री बाई फुले ने योगी सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी जताई थी। दलित सांसद ने पीएम को लिखी चिट्ठी में दो शिकायतों का जिक्र किया है। पहली शिकायत में 2015 की है जब अखिलेश यादव सीएम थे। नौगढ़ वन क्षेत्र में अधिकारियों ने उनके घर को वन क्षेत्र में डाल दिया था। हालांकि बाद में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के आदेश पर इस जमीन की दोबारा पैमाईश करवाई गई थी। सांसद के मुताबिक इस नापतोल में उनका घर वन क्षेत्र से बाहर निकला था। दूसरा मामला अक्टूबर 2017 का है । जिसमे सासंद छोटेलाल के भाई क्षेत्र पंचायत नौगढ़ का प्रमुख के खिलाफ समाजवादी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाई थी। वोटिंग के दौरान उन्हें कुछ लोगों ने धमकाया था और गालियां दी थी। जिस पर इतना समय बीत जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिले के अधिकारी उनकी शिकायतों को सुन नहीं रहे हैं।
स्वामी के भी बागी बोल –
एनडीए और बीजेपी के सांसदों द्वारा बजट सत्र की 23 दिनों की सैलरी नहीं लेने के फैसले का उनकी ही पार्टी के एक सांसद ने विरोध किया है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है वह अपनी सैलरी और भत्ते लेंगे। स्वामी ने कहा कि मैं रोज़ाना संसद जाता था, अगर सदन नहीं चलता है तो इसमें मेरी गलती नहीं है। मैं सदन में राष्ट्रपति का प्रतिनिधि हूं और जब तक वह ऐसा नहीं कहेंगे, मैं वेतन लेने से इनकार नहीं कर सकता हूं।