हाल के दिनों में पाकिस्तान को कुटनीतिक रूप से बहुत बात शर्मनाक परिस्थियों का सामना करना पड़ा है. इनमे हार्ट ऑफ़ एशिया का नाम भी जुड़ गया. इस सम्मेलन में भारत ने नही बल्कि अफगानिस्तान ने भी साफ़ साफ़ शब्दों में पाकिस्तान से आंतक रोंकने के लिए कहा.
रविवार को समाप्त हुए हार्ट ऑफ एशिया बैठक के बाद जारी घोषणापत्र में जितने कड़े शब्दों में पाकिस्तान को हिदायत दी गई है उसे पकिस्तान पूरी तरह नहीं नज़र अंदाज कर पायेगा. पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज की जोर आजमाईश के बावजूद अमृतसर घोषणापत्र में पाकिस्तान में फल फूल रहे आतंकी संगठनों जैश व लश्कर के नाम को शामिल किया गया है. स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में पाक किस तरह से अलग थलग पड़ रहा है.
हार्ट ऑफ़ एशिया में अपने भाषण के दौरान मोदी ने कहा कि आतंकी हिंसा करने वाले समूहों के खिलाफ ही नहीं और बल्कि इन्हें वित्तीय मदद करने वाले, इन्हें आश्रय देने वाले देशों के खिलाफ भी हमें कार्रवाई करने की जरुरत है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपने स्वास्थ्य के कारण इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सकी. उनकी जगह बैठक का संचालन कर रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि किसी भी देश को किसी भी आधार पर आतंक का समर्थन करने की छूट नहीं होनी चाहिए.
मेजबान देश होने के नाते भारत ने पाकिस्तान की अत्यंत कड़े शब्दों में निंदा नहीं की. लेकिन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने पाकिस्तान को प्रत्यक्ष रूप से खरी-खरी सुनायी.
गनी ने पाकिस्तान के खिलाफ हाल के महीनों के सबसे बड़ा हमला करते हुए कहा कि उसने अफगानिस्तान के खिलाफ एक तरह से अघोषित युद्ध छेड़ रखा है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान आतंकी संघटनो मदद नहीं करें तो वे एक महीना भी टिक नहीं सकेंगे.
गनी ने कहा कि पाक के समर्थन से चल रहे आतंकी समूहों की गतिविधियों की जांच अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से करवाई जानी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान इनमें अपनी भूमिका से इनकार करता है। गनी ने पाकिस्तान की तरफ से दी जाने वाली 50 करोड़ डॉलर की मदद का जिक्र करते हुए कहा कि बेहतर होगा कि वह इस राशि का इस्तेमाल अपने यहां के आतंकी संगठनों के खात्मे के लिए करे।