उत्तर प्रदेश के चुनावो में अब हर और सपा कांग्रेस गठबंधन की बात हो रही हैं. कुछ इस गठबंधन से बहुत खुश हैं और कुछ बहुत दुखी. खुश होने के पीछे वजह ये हैं कि अब मुस्लिम वोटो का धुर्वीकरण रुक जायेगा. लेकिन परेशान लोगों का मानना हैं कि ये गठबंधन सिर्फ सत्ता पाने के इरादे से कए गया हैं. यहाँ दिलचस्प बात ये हैं कि इन परेशान लोगों में से एक सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष के पिता भी हैं. हम आप तक पहले ही ये बात पहुंचा चुके हैं कि मुलायम सिंह ने सपा कांग्रेस गठबंधन के लिए प्रचार न करने की बात कही हैं और साथ ही अपने लोगों को कांग्रेस के प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए भी कहा हैं.
अब लगता हैं कि अखिलेश के चाचा शिवपाल भी मुलायम के साथ मिल गए हैं. . हालांकि मुलायम सिंह की परंपरागत सीट जसवंतनगर से शिवपाल यादव पार्टी के चुनाव चिह्न पर खड़े हैं. लेकिन ये बात किसी से छिपी नहीं हैं कि शिवपाल अभी तक अपने भतीजे से नाराज़ हैं ओर उनकी नाराजगी पार्टी पर भारी पड़ सकती है.
क्या दोफाड़ हो जायगी सपा
भले ही सपा में बहुत कलह थी लेकिन चुनावों के मद्देनज़र सपा में एकता हो जाना भी तय था. जिस नाटकीय घटनाक्रम से सपा पिछले दिनों गुजरी हैं उसका इतनी जल्दी और आसानी से अंत हो जाना संभव ही नहीं हैं. साथ ही लोगो को अब ये भी लगने लगा हैं कि सपा में अब नेताजी की अनदेखी की जा रही हैं. शिवपाल को हाशिए पर धकेल दिया गया हैं. इस अपमानजनक स्थिति ने शिवपाल को बागी बनने के लिए विवश कर दिया हैं. इसीलिए शिवपाल यादव ने घोषणा की है, हम 11 मार्च के बाद नई पार्टी बनाएंगे.
शिवपाल अकेले ऐसा नाम नहीं हैं जो सपा में बागी हो रहा हैं. बहुत से नेता गठबंधन के इस फैसले से खुश नहीं हैं. क्यूंकि इस एक फैसले से बहुत से उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिला. ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि सपा ने उन सीटों की दावेदारी कांग्रेस को सौंप दी. ऐसे में बड़े खबर ये हैं कि शिवपाल ने इटावा में पिछले रविवार को ‘मुलायम के लोग’ के नाम से नए कार्यालय का उद्गाटन किया है. ऐसे खबरें भी हैं कि यहाँ से सपा के बागी नेताओं की मदद की जायेगी.