जगजाहिर हो चुका हैं की अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच कुछ भी ठीक नहीं हैं दोनों में बहुत ही ज्यादा मतभेद हैं जिसके चलते शिवपाल के बेटे समेत उनके करीबियों को भी अखिलेश ने सबक सिखाते हुए उन्हें टिकट नहीं दिया | जाहिर हैं की सपा सुप्रीमो बनने से पहले ही अखिलेश यादव ने पूर्वांचल के बाहुबलियों से दूरी बनानी शुरु कर दी थी। लेकिन, इसके बाद अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी सूची में भदोही जिले के ज्ञानपुर से बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का टिकट काटने के साथ ही मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद को टिकट न देकर एक अलग राजनीति के संकेत दिये हैं। बता दें कि अखिलेश कौमी एकता दल के विलय करवाने से नाराज थे।
वे अपनी टीम में माफिया और बाहुबलियों को टिकट नहीं देना चाहते थे। वहीं, उन्होंने मऊ से कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी और इलाहाबाद के फुलपुर से अतीक अहमद को टिकट दिये जाने का विरोध किया। लेकिन, ये तो तय था कि अखिलेश की टीम में इन लोगों का बोलबाला नहीं होने वाला है। अखिलेश ने भदोही के ज्ञानपुर के वर्तमान बाहुबली विधायक विजय मिश्रा का टिकट काटकर अलग राजनीति का एक नई हवा दी है। लेकिन अखिलेश के उलट, पिता मुलायम ने अतीक अहमद को टिकट दिया तो वहीं चाचा शिवपाल यादव ने मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल का विलय करवाया। लेकिन विजय मिश्रा सपा से ही विधायक है। इस बात का किसी को भी अंदाजा नहीं था कि अखिलेश इन बाहुबलियों का टिकट काट देंगे।
तीनो उम्मीदवार जीतू फिर भी नहीं दिया टिकट –
बता दें कि पूर्वांचल में इन तीनों बाहुबलियों का दबदबा है और तीनों की शिवपाल यादव से अच्छी बातचीत है और ये तीनो जिताऊ उम्मीदवार हैं लेकिन फिर भी अखिलेश यादव ने इनका पत्ता साफ़ कर दिया | अतीक अहमद कानपूर कैंट से निर्दलीय भी जीत चुके हैं और विजय मिश्र का भदोही में बहुत ज्यादा दबदबा हैं और पूरा ब्राह्मण समुदाय उनके साथ हैं |
अखिलेश के इस फैसले से उनको कितना नुकसान और फायदा होता हैं ये तो चुनाव का रिजल्ट ही बताएगा लेकिन एक बात साफ़ हैं अब शिवपाल की भूमिका पार्टी में ना के बराबर होती जा रही हैं |