यूपी विधानसभा चुनाव पास आते ही वहां की सियासत गरमाने लगी हैं और कई तरह की बाते सामने आने लगी हैं | हर किसी के मन में ये जानने क इक्षा हैं की मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अखिलेश यादव कहाँ से चुनाव लड़ेगे |
इस बार अखिलेश यादव के बबुंदेलखंड के बबेरू से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही हैं | हालांकि अपने आठवे मंत्रिमंडल के विस्तार में भी अखिलेश ने बुंदेलखंड से कोई मंत्री नहीं लिया हैं लेकिन वहां के एक विधायक ने अखिलेश को बबेरू से चुनाव लड़ने का न्योता दिया हैं | अखिलेश यादन ने लखनऊ पहुचकर खुद भी इसके लिए मंशा जाहिर की | बुंदेलखंड के बांदा जिले की बबेरू विधानसभा सीट दलित और यादव बहुल सीट मानी जाती है | वामपंथी आंदोलन के दौरान पहले यहां से कामरेड दुर्जन भाई (दलित) दो बार विधायक हुए, इसके बाद कामरेड देव कुमार यादव तीन बार विधायक चुने गए | इस सीट में दलित और यादव गठजोड़ की बदौलत पतवन गांव के किसान जागेश्वर यादव भाकपा से सांसद भी निर्वाचित हुए थे | सपा के बबेरू से विधायक विशंभर सिंह यादव ने अपना पत्ता फेका और कहाँ की अगर मुख्यमंत्री वहां से लड़ते हैं तो वो अपनी सीट छोड़ देगे और जी जान लगाकर अखिलेश को भारी मतों से जिताएगे |
वही उप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गयाचरण दिनकर ने फोन पर रविवार को कहा कि अखिलेश यादव की अगुआई वाली सपा सरकार ने समूचे बुंदेलखंड की उपेक्षा की है | अखिलेश ही नहीं सपा मुखिया (मुलायम) भी चुनाव लड़े तो हार ही नसीब होगी | वही वामपंथी विचारधारा के बुजुर्ग राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान ने कहाँ की भले की सपा के कार्यकर्ता उनके मुखिया की खूबी गा रहे हो लेकिन बुंदेलखंड की जनता सपा से काफी नाराज हैं | श्री चौहान ने ये भी कहा की – “बुंदेलखंड के लिए तो सपा से अच्छी बसपा सरकार थी, जो आधा दर्जन मंत्री, एक दर्जन दर्जा प्राप्त मंत्री के अलावा विकास के नाम पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग, आईटीआई कॉलेज दिए थे|” ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की अखिलेश कहाँ से चुनाव लड़ते हैं