उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच के गठबंधन पर सपा असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रही हैं. इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि सपा मतदाताओं को ये जताना चाहती है कि अभी भी सपा की लोकप्रियता इतनी है कि वो अपने दम पर सरकार बना सकती हैं.
अखिलेश यादव जब भी गठबंधन की बात करते है तो साफ़ तस्वीर नहीं दे पाते. हाल ही में अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन की संभावनाओं को पूरी तरह ख़ारिज न करते हुए कहा कि अगर सपा और कांग्रेस का गठबंधन होता हैं तो यूपी में इस गठबंधन को 300 से अधिक सीटें मिलना तय हैं.
कानून व्यवस्था पर की बात
उत्तर प्रदेश के लिए कानून व्यवस्था को बनाये रखना सबसे बड़ी चुनोती रहा हैं. इस पर अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए अखिलेश सिंह ने इमरजेंसी सर्विस डायल 100 के विषय में बात करते हुए बताया कि ये व्यवस्था सिल-सिलेवार ढंग से पूरे प्रदेश में लागू होगी. ये पूछने पर कि क्या सपा आपराधिक छवि वाले लोगों को टिकेट देगी, अखिलेश ने कहा कि टिकेट वितरण मेरे हाथ में नहीं हैं. मैं सिर्फ सलाह दे सकता हूँ.
नोटबंदी ने भुलायी पारिवारिक कलह
अभी तक परिवारिक कलह से आहात होने पर अखिलेश का जवाब था लोकत्रंत्र में सबको साथ लेकर सभी की राय से चलना पड़ता है और सर्वसम्मति से फैसले अच्छे होते हैं. मुझे जो कहना था, मैने पार्टी के भीतर कहा. एसपी में पारिवारिक कलह अब कोई मसला नहीं है और चुनावी मुद्दे पूरी तरह से बदल चुके हैं. नोटबंदी के कारण एटीएम के बाहर खड़े लोगों की लाइन चुनावी बूथ के बाहर नजर आएंगी.
विकास है चुनावी मुद्दा
अखिलेश ने बताया कि इन चुनावों में सपा विकास को चुनावी मुद्दा बनायेगी. सपा के लिए ये चुनाव धर्म और जातीय समीकरणों नहीं लडे जायेंगे. अखिलेश ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और गृह मंत्री सभी उत्तर प्रदेश से ही संसद में गये. लेकिन पिछले ढाई वर्षों में उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया.
अगली पारी होगी और बेहतर
अपने वर्तमान कार्यकाल से मिली सीख के विषय में पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि अब उनकी उम्र भी बढ़ी हैं और उन्हें पहले से अधिक अनुभव भी मिला हैं.