कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बार मुख्य मुकाबला प्रदेश में सत्ता संभाल रही कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। दोनों ही पार्टियों ने कर्नाटक में वोटरों को रिझाने की कवायद तेज कर दी है। खास तौर से लिंगायत समुदाय पर दोनों ही पार्टियों की निगाहें हैं। चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का फैसला लिया, उससे सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। बीजेपी ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। हालांकि लिंगायत को लेकर कर्नाटक सरकार के फैसले का चित्रदुर्ग मठ के महंत ने स्वागत किया है। इतना ही नहीं चित्रदुर्ग मठ के महंत ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर इस फैसले कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की तारीफ की है।
चित्रदुर्ग के महंत ने लिखा शाह को पात्र –
चित्रदुर्ग मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरानारु ने अमित शाह को जो पत्र लिखा है उसमें उन्होंने कहा कि लिंगायत धर्म को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलने से युवाओं को फायदा मिलेगा और लिंगायत समुदाय से जुड़े अन्य लोगों को भी इससे कुछ न कुछ लाभ मिलेगा। चित्रदुर्ग मठ के महंत ने कहा कि ये फैसला समुदाय को बांटने वाला नहीं है बल्कि लिंगायत की उपजातियों के लोगों को संगठित करने वाला है। बता दें की बीजेपी ने इस फैसले को हिंदू समाज को बांटने वाला करार दिया था।
दरअसल लिंगायत वोटरों को बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जिस तरह से बीजेपी के इस वोटबैंक पर सेंध लगाने का दांव चला इसका असर चुनाव में जरूर नजर आ सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस सरकार के फैसले का बीजेपी की ओर से विरोध किया गया। खुद अमित शाह ने एक रैली में कहा कि सिद्धारमैया सरकार लिंगायत समुदाय को लेकर जो प्रस्ताव लाई है, उसके इस कदम के पीछे मकसद यही है कि बीजेपी के सीएम उम्मीदवार येदयुरप्पा को सीएम बनने से रोका जाए। येदयुरप्पा को लिंगायतों का बड़ा नेता माना जाता है।
अब क्या करेगी बीजेपी –
भले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हों लेकिन चित्रदुर्ग मठ के महंत शिवमूर्ति मुरुघा शरानारु ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर जिस तरह से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के फैसले की तारीफ की है, उससे बीजेपी को करारा झटका लगता नजर आ रहा है।
जाहिर है की लिंगायत एक बहुत बड़ा समुदाय है जो की कर्णाटक में बड़ा वोट बैंक रखता है और अगर ये समुदाय किसी पार्टी की तरफ अपना कदम झुका देता है तो वो जीत जाती है | अब देखना है की अगला दांव क्या होता है |