उध्ह्व ठाकरे से मिलेगे अमित शाह, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

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Amit Shah will meet Uddhav Thakre

बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच बुधवार शाम को अहम बैठक होने जा रही है। ‘बीजेपी संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान के तहत होने जा रही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और अमित शाह की मुलाकात ने सियासी हलचल तेज कर दी है। बीजेपी से बगावत कर 2019 में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी शिवसेना क्‍या एनडीए के साथ जाएगी? उपचुनावों में लगातार हार के बाद सहयोगियों को मनाने में जुटे बीजेपी अध्‍यक्ष क्‍या पुराने दोस्‍त शिवसेना को मनाने में कामयाब होंगे| इन मुद्दों पर होगी चर्चा-

महाराष्ट्र का बिग ब्रदर कौन-

बीजेपी और शिवसेना का रिश्‍ता बेहद पुराना है। बाला साहेब ठाकरे जब तक जीवित थे, तब तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि शिवसेना और बीजेपी इस तरह एक-दूसरे आमने-सामने आ जाएंगे। लेकिन बाल ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना की जमीन खोई और उसी पार्टी के हाथों खोई, जिसके साथ बरसों से गठबंधन चला आ रहा था। पहले लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने शिवसेना से ज्‍यादा सीटें जीतीं और उसके बाद विधानसभा चुनाव में शिवसेना पूरी तरह पिछड़ गई। ऐसे में देखा जाएगा की अब महाराष्ट्र का बॉस कौन बनेगा|

Amit Shah will meet Uddhav Thakre

इस मुद्दे पर लुभायेगे अमित शाह-

केंद्र में बीजेपी का पूर्ण बहुमत के साथ सत्‍ता में आना और महाराष्‍ट्र में करीब-करीब बहुमत के पास पहुंच जाना। ये दो बातें शिवसेना को हजम नहीं हुईं तो दूसरी ओर बीजेपी की शिवसेना पर कोई निर्भरता नहीं बची। ऐसे में दोनों दलों के बीच टकराव स्‍वाभाविक था, जो कि हुआ और अब भी हो रहा है। लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव बीजेपी और शिवसेना दोनों के लिए आंखें खोलने वाले रहे। पहले महाराष्‍ट्र की ही दो सीटों- पालघर और भंडारा गोंदिया में हुए उपचुनाव की बात करते हैं। पालघर में शिवसेना और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन जीत बीजेपी के हाथ लगी। दूसरी ओर भंडारा गोंदिया में एनसीपी जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। यहां बीजेपी के हेमंत पटले को 30,000 से ज्‍यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी-शिवसेना ने अगर यह सीट साथ मिलकर लड़ी होती तो एनसीपी उम्‍मीदवार की हार तय थी। दो सीटों के दो नतीजे बताते हैं कि इस समय दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है।

इस वजह से हुआ था झगड़ा-

बात नवंबर 2014 की है, यानी केंद्र में मोदी सरकार के सत्‍ता संभालने के कुछ समय बाद की। सुरेश प्रभु ने शिवसेना छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और नरेंद्र मोदी ने उन्‍हें रेल मंत्री जैसा अहम पद सौंपा था। शिवसेना के साथ बीजेपी के झगड़े की शुरुआत यहीं से हो गई थी। विरोधस्‍वरूप शिवसेना ने कैबिनेट विस्‍तार तक का बहिष्‍कार करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद से दोनों दलों के बीच जो रिश्‍ते उलझने हुए वो अब तक नहीं सुधर पाए हैं।

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