यूपी से सूबे में सियासी हवा के दौरान कब कौन सी बात सामने आ जाये पता नहीं | अपने आप को सनातन धर्म की रक्षा करने का जिम्मेदार बताने वाली मोदी सरकार के खिलाफ एक सन्यासी ने अपने दो उम्मीदवार उतारने की घोषणा की हैं | एक तरफ जहां पार्टी अंदरूनी कलह को शांत करने के लिए तमाम प्रयास कर रही हैं वहीं सोमवार को स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने वाराणसी के भाजपा के दो सुरक्षित सीट पर अपने प्रत्याशी को उतारने का एलान कर दिया है। स्वामी ने भाजपा और प्रधानमंत्री के कार्य कर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा कि ये पार्टी कभी भी सनातन धर्म की रक्षा नहीं कर सकती, बस दिखावा कर रही है।
करे जो स्वाभिमान पे चोट , करे हम कैसे उसे वोट –
बीते साल वाराणसी के गोदौलिया चौराहे पर गणेश प्रतिमा को लेकर इस संन्यासी के साथ-साथ सैकड़ों बटुकों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने उस घटना का बखान करते हुए कहा कि हम इस चुनाव में ‘करे जो स्वाभिमान पर चोट , कैसे करें हम उसको वोट ‘ के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। प्रदेश सरकार के मंत्री इस घटना के बाद हमारा हाल-चाल लेने आये तो कांग्रेस के वर्तमान के प्रत्याशी इस घटना में हमारे साथ रहे। बस एक भाजपा ही थी जिसे साधु और सन्तों की कोई चिंता नहीं हैं। जिससे हमारे संत समाज ने ये निर्णय लिया हैं कि हम वाराणसी जिसे भाजपा का गढ़ कहा जाता है और ये माननीय प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी हैं, उनके सबसे मजबूत किले शहर दक्षिणी और शहर उत्तरी से हम अखिल भारतीय रामराज्य परिषद के उम्मीदवार को भाजपा और तमाम राजनैतिक पार्टियों के खिलाफ चुनाव लड़ाएंगे और काशी से ही सनातन धर्म की रक्षा की शुरुआत करेंगे क्योंकि भाजपा सिर्फ हिंदुत्व की बात करती हैं, काम कुछ भी नहीं करती।
जाहिर हैं की अखिल भारतीय रामराज्य परिषद् का कहना हैं की वो ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतरेगे जो ना की सिर्फ सनातन धर्म को मानने वाला हो बल्कि उसकी गरिमा और सम्मान का पूरा ध्यान रखे |
वाराणसी में पहले से ही भाजपा और अपना दल के बीच कुछ ठीक नहीं हैं और अब एक नयी बगावत आने से उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं |