पिछले कई दिनों से ये चर्चा जोरों पर थी कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में अपना प्रभाव रखने वाले अंसारी बन्धु बसपा का दमन थम लेंगे. कोमी एकता दल इन्ही अंसारी बंधुओं का राजनितिक दल हैं. ये वो ही दल हैं जिसके सपा में विलय को लेकर अखिलेश यादव व शिवपाल यादव में मतभेद थे.
आज गुरुवार के दिन ही अंसारी के बसपा में शामिल होने का एलान हुआ हैं. अखिलेश यादव के अंसारी की और कठोर रुख के चलते मुख्तार अंसारी को सपा से टिकट ना मिलन तय था. इसके बाद ये अनुमान भी लगाये जा रहे थे कि अब सपा से मुख्तार अंसारी के संबंध विच्छेद हो जायेंगे. जैसा कि हुआ भी.
बसपा सुप्रीमों मायावती ने मुख्तार अंसारी, उनके बेटे अब्दुल्ला अंसारी और भाई सिबगतुल्ला अंसारी को विधानसभा का टिकट देने का ऐलान भी कर दिया हैं. मुख्तार अंसारी को मऊ से विधानसभा का टिकट मिला हैं और घोसी से मुख्तार के बेटे अब्बास को तो मोहम्मदाबाद से मुख्तार के भाई सिबकतुल्ला अंसारी को टिकट मिला. मुख्तार अंसारी से पहले इस सीट से मनोज राय विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे व मोहम्मदाबाद से बीएसपी प्रत्याशी विनोद राय को टिकट मिली थी. अब इन दोनों प्रत्याशियों से टिकट वापस ले लिया गया हैं. अपनी सीट पर मुख्तार अंसारी के बेटे की एंट्री से विनोद राय बागी हो गए हैं.
हालाँकि इन पूर्व प्रत्याशियों को बुलाकर मायावती ने समझाया हैं कि उनकी जगह अंसारी परिवार को टिकट देने के पीछे बसपा का मुख्य लक्ष्य मुस्लिम वोटों को पाना हैं. अंसारी बंधुओं का दबदबा बलिया, मऊ और गाजीपुर की सीटों पर हैं. वाराणसी की कुछ सीटों पर भी अंसारी बंधुओं का प्रभाव हैं.
मुख्तार अंसारी बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप में अभी जेल में हैं. अब मुख्तार अंसारी बसपा में शामिल हो गए हैं और एक समय ऐसा था जब मुख्तार अंसारी ने मायावती को खुद को हत्या के मामले में फसाने का आरोप भी लगाया था. और अब मुख्तार अंसारी पर लगे आरोपों के बारे में बात करते हुए मायावती ने कहा कि उन पर लगे आरोप अभी साबित नहीं हुए हैं.
ये ही राजनीति हैं जिसमें समय बदलते ही लोगों के लिए सोच भी बदल जाती हैं.