समाजवादी टूट की और बढ़ रहे हैं. ऐसे में सभी लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं. हम यहाँ सपा के कद्दावर नेता आजम खां की बात कर रहे हैं. कल देर रात रामपुर पहुंचे आजम खां पार्टी में चल रही चाचा भतीजे की खींच तान पर अपने दुःख को छुपा नहीं पाए. सपा के भीतर की लडाई पर आज़म खां ने कहा कि पार्टी में इस तरह का व्यवहार बहुत चिंताजनक हैं. इसके बाद लोग खून के रिश्तों पर विश्वास करना बंद कर देंगे. आजम खां ने यह भी कहा कि इस झगड़े में उत्तर प्रदेश का मुकद्दर बिगड़ गया हैं. आजम खां यही नहीं रुके और ये भी बोल गये कि उन्हें इस झगड़े से बहुत शर्मिंदगी हैं. हालाँकि ये समय नफा नुकसान गिनाने का नहीं हैं लेकिन इस झगड़े में काफी नुकसान हो गया हैं.
आजम खां भी अखिलेश और उनके समर्थक नेताओं की तरह अमर सिंह को पसंद नहीं करते हैं. लेकिन उन्होंने अन्य नेताओं की तरह अखिलेश का खुल कर समर्थन भी नहीं किया हैं. सपा में वर्चस्व की लडाई में आज़म खां भी नुकसान में जाते दिख रहे हैं. इस बात पर आज़म खां ने अपना दर्द कुछ इस तरह से बयान किया कि हमने जो अभी तक लडाई लड़ी हैं वो आपके (मुलायम सिंह) के साथ लड़ी हैं. अब आगे क्या होगा हमें नहीं पता. लेकिन जो कुछ हुआ वो समाजवादी पार्टी की बदनसीबी के अलावा कुछ नहीं हैं.
मुलायम सिंह द्वारा जारी लिस्ट में आज़म खां को मायूसी हाथ लगी. आज़म खां समाजवादी पार्टी के फाउंडर मेम्बर हैं. लेकिन जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने मुरादाबाद मंडल में आज़म खां की पसंद को नज़रअंदाज किया हैं उससे सपा के इस पुराने सिपाही को दुःख पहुचना लाजमी ही हैं. मुरादाबाद मंडल में सिर्फ आज़म खां और उनके बेटे के टिकट को ही सुरक्षित रखा गया हैं. जबकि उनके करीबी माने जाने वाले बिलारी विधायक फहीम और ठाकुरद्वारा विधायक नवाब जान को को मुलायम की लिस्ट में जगह नहीं मिली.
आज़म खां ने बातों बातों में ही अपने इरादों को भी साफ़ कर दिया. आज़म खां ने कहा कि हमने हमेशा सच्चाई का साथ दिया हैं. और इसके लिए हमें पार्टी से भी निकला गया, लेकिन हमने कश्ती नहीं बदली. लेकिन अब शायद सोचना पड़े.