संसद में विपक्ष के हंगामे की वजह से काम-काज ना हो पाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वेतन से 79,752 रुपये कट गए हैं। बाकी मंत्रियों और सांसदों के वेतन से भी कटौती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। संसद में हंगामे के चलते काम-काज न होने पर पिछले दिनों ही एनडीए की ओर से संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने अपने सांसदों के वेतन-भत्ते न लेने का ऐलान किया था।
बाकी सांसद भी नहीं लेंगे 23 दिनों का वेतन –
अनंत कुमार ने कहा था कि एनडीए के सांसद वर्तमान बजट सत्र के उन 23 दिनों का वेतन नही लेंगे। जिनमें कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के विरोध प्रदर्शन के कारण संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी। अनंत कुमार ने संसद के दोनों सदनों में हंगामे के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह लोकतंत्र विरोधी राजनीति कर रही है। वहीं बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं रोज संसद जाता हूं, संसद नहीं चल रही है तो इसमें मेरा क्या दोष है। मैं कैसे कहूं कि सैलरी नहीं लूंगा।
शिवसेना साथ नहीं –
संसद में कार्यवाही नहीं चलने के कारण एनडीए सांसदों का 23 दिनों का वेतन छोड़ने की घोषणा के बाद पीएम मोदी ने अपना वेतन और भत्ते छोड़ दिए हैं लेकिन इस मुद्दे पर एनडीए में मतभेद है। शिवसेना ने कहा है कि पार्टी भाजपा के साथ नहीं है जबकि दूसरी सहयोगी रालोसपा ने कहा कि उसे फैसले की जानकारी नहीं है। आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि सत्तारूढ़ एनडीए के सांसद 23 दिनों का वेतन नहीं लेंगे।
लगातार हुआ था हंगामा –
संसद के दोनों सदनों में बुधवार को भी हंगामा होता रहा। विपक्ष के साथ ही तमिलनाडु की पार्टियों ने वेल में नारेबाजी की और प्रदर्शन जारी रखा। इसके चलते कोई काम नहीं हो सका। राज्य सभा की कार्यवाही तो छह मिनट के अंदर ही स्थगित करनी पड़ी। वहीं लोकसभा चार मिनट के अंदर ही पहले दोपहर तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
जयराम रमेश ने लिखी नायडू को चिट्ठी –
जयराम रमेश ने लिखा कि, मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि बजट सत्र का दूसरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाने से सभी सांसदों को पीड़ा हुई होगी। मैं और अन्य पार्टियों के संसद सदस्य इस बात का विश्वास दिलाते हैं कि यह दोबारा नहीं होगा। राजनीतिक दल और सदस्य अलग-अलग राज्यों और देश से जुड़े मुद्दों को लेकर चिंतित होंगे। इसलिए मैं व्यक्तिगत तौर पर एक सुझाव देना चाहता हूं कि आप क्यों नहीं केंद्र सरकार को 2 हफ्तों का एक विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव दें जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और बहस हो सके। यह सत्र मई या जून बुलाया जा सकता है। इस सत्र में सांसद देश और राज्य से जुड़े राजनैतिक,आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर बहस और चर्चा कर सकें।