ललित मोदी से लेकर नीरव मोदी तक बैंको का पैसा खाकर भागने वाले बड़े रईसों की मुश्किलें अब बढती नजर आ रही है क्योकि बैन घोटालो को लेकर अब आरबीआई अब सख्त हो चुका है | अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लेटर ऑफ एंडरटेकिंग और लेटर ऑफ कंफर्ट पर फौरन रोक लगा दी है। आरबीआई ने बैंकों की ओर से जारी होने वाले LoU और LoC पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। आरबीआई ने देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के बाद इस पर रोक लगाते हुए इसके गलत इस्तेमाल पर लगाम लरा दी है। आपको बता दें कि पीएनबी घोटाले ने मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने इसी LoU का गलत इस्तेमाल कर बैंकों से कर्ज लिया और बैंकिंग सेक्टर के सबसे बड़े स्कैम को अंजाम दिया।
क्या है लैटर आफ अंडरटेकिंग LOU –
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक या किसी भारतीय बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा की ओर से जारी किया जाता है | इस लेटर के आधार पर बैंक, कंपनियों को 90 से 180 दिनों तक के शॉर्ट टर्म लोन मुहैया कराते हैं | इस लेटर के आधार पर कोई भी कंपनी दुनिया के किसी भी हिस्से में राशि को निकाल सकती है | इसका इस्तेमाल ज्यादातर आयात करने वाली कंपनियां विदेशों में भुगतान के लिए करती हैं | लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी भी कंपनी को लेटर ऑफ कम्फर्ट के आधार पर दिया जाता है | लेटर ऑफ कम्फर्ट कंपनी के स्थानीय बैंक की ओर से जारी किया जाता है |
इसी वजह से हुआ था PNB घोटाला –
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में इस लेटर का ही इस्तेमाल किया गया है | ज्वैलरी डिजायनर नीरव मोदी ने अपनी फर्म के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से ये फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग हासिल किये | फर्जी इसलिए क्योंकि बैंक में इस अंटरटेकिंग के लिए जरूरी मार्जिन मनी नहीं थी | जारी होने के बाद इन LoUs की जानकारी स्विफ्ट कोड मैसेजिंग के जरिए सभी जगह भेज दी गई | इन LoU को नीरव मोदी ने विदेशों में अलग अलग सरकारी और निजी बैंक की शाखाओं से भुना लिया | भुनाई हुई राशि करीब 11000 करोड़ रुपए की थी | पे ऑर्डर की तरह ही ये लेटर ऑफ क्रेडिट भी कंपनी की ओर से भुगतान न करने पर उन बैंकों में भुगतान के लिए पेश किए जाते हैं जहां से लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी हुआ होता है। पीएनबी के पास जब यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग भुगतान के लिए आए तो बैंक ने इनका भुगतान करने में असमर्थता जताई। जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
जाहिर है की आरबीआई के इस कदम के बाद बैंको के घोटालो पर काफी हद तक लगाम लगेगी क्योकि बैंको से पैसे लेने का उद्योगपतियों का यही सबसे बड़ा जरिया होता है |