भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में 2019 का लोकसभा इलेक्शन गंठबंधन में लड़ने पर सहमति को लेकर बातचीत सही दिशा में है। बुधवार को अमित शाह और उद्धव ठाकरे के बीच हुई बैठक के बाद दोनों पार्टियां गठबंधन रखने पर राजी हैं। टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों पार्टियों के बीच अब पेंच महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव को लेकर फंसा हैं, जिसमें सीटों के बंटवारें पर कोई बाचतीत और सहमति नहीं हो पाई है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है।
विधानसभा को लेकर अटका मामला-
भाजपा के एक सीनियर नेता के अनुसार, दोनों दल 2019 का लोकसभा 2014 की तर्ज पर ही लड़ने को राजी हैं। 2014 में भाजपा 48 में से 26 और शिवसेना 22 सीटों पर लड़ी थी। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों में भाजपा और शिवसेना के संबधों में खटास आ गई। दोनों अलग लड़ीं। विधानसभा में भाजपा ने 260 सीटों पर चुनाव लड़ा और 122 पर जीत दर्ज की, वहीं शिवसेना ने 282 सीटों पर लड़कर 63 सीट जीतीं। दोनों पार्टियों में असल लड़ाई विधानसभा में ज्यादा सीटों पर लड़ गंठबंधन में सीनियर पार्टनर बनने को है।
ठाकरे अभी भी नाराज-
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के तेवर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात बाद भी नरम नहीं पड़े है। मुलाकात के एक दिन बाद गुरुवार को ठाकरे ने पालघर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बैठक की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब जो कुछ भी हो रहा है वह सब ड्रामा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संकेत दिया कि शिवसेना अकेले ही चुनाव में उतर सकती है।
लगातार नाटक कर रही है शिवसेना-
आपको बता दे की शिवसेना लगातार नाटक कर रही है| वो कभी भी अपना विरोध खुलकर दर्ज नहीं करते है| आए दिन कुछ ना कुछ बयान देना और मोदी के खिलाफ बोलना होता रहता है| जहाँ अभी कल शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा की वो अकेले चुनाव लड़ेगे और किसी के साथ नहीं चलने वाले| उन्होंने साफ़ तौर पर बीजेपी के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है| लेकिन आज तक शिवसेना का खुद का स्टैंड क्लियर नहीं हो पा रहा है किव ओखुद करना क्या चाहते है| अब आज कह रहे है की वो भाजपा के साथ चुनाव लडेगी| अब देखना ये है की आखिर अब शिवसेना कौन सा नया दाँव लेकर आती है और भाजपा के सामने कौन सा राग अलापने की कोशिश करती है| इसके अलावा अब भाजपा ने शिवसेना को साधना शुरू इसीलिए शुरू किया है क्योकि उसे अआगामी आम चुनावों से पहले अपना महाराष्ट्रा मजबूत करना है| जिस वजह से वो शिवसेना की सभी हरकते बर्दाश्त कर रहे है और कुछ भी नहीं बोल रहे है|