उत्तर प्रदेश का कोई भी भाजपा नेता जब पत्रकारों से मुख़ातिब होता हैं तो उसे एक अनचाहे प्रश्न की उम्मीद जरुर होती हैं. और ये प्रश्न हैं कि आखिर क्यूँ भाजपा ने एक भी मुस्लिम नेता को उत्तर प्रदेश में टिकट नहीं दिया. उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की ख़ासी आबादी है और चुनावी राजनीति में उनकी अहम भूमिका रही है. ऐसे में आप मुस्लिमों को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते. साल 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में करीब 19.5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.
ये बात भाजपा नेताओं को पता हैं कि बाबरी विध्वंस के बाद यूपी के मुस्लिमों का विश्वास भाजपा में कम हुआ हैं लेकिन इस बात को ऐसा नहीं कह सकते कि मुस्लिम वोट बीजेपी को मिलते ही नहीं. लोकसभा चुनावों में प्रदेश से भाजपा की जीत केवल बहुसंख्यक समुदाय के मतों से नहीं हुई बल्कि इसमें मुस्लिम मतदाताओं का भी योगदान रहा हैं. ऐसे में एक भी मुस्लिम नेता को चुनावों में टिकट न दिया जाना भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता हैं.
इस विषय पर भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी भी ये ही राय रखते हैं कि भाजपा को प्रदेश में मुस्लिम प्रत्याशियों को भी टिकट देना चाहिए था. मुख्तार अब्बास नकवी के अनुसार, “जहां तक टिकट का सवाल है, मुसलमानों को भी टिकट मिलता तो अच्छा होता. अब हम उनकी चिंता की भरपाई तब करेंगे जब राज्य में हमारी सरकार बनेगी.”
ऐसा ही कुछ बयान भाजपा नेत्री उमा भारती की तरफ से भी आया हैं. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अपनी पार्टी द्वारा एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को 2017 के विधानसभा चुनावों मे टिकट न देने पर अफसोस जताया है. उमा भारती ने भी मुख्तार अब्बास नक़वी की तरह ही विधान परिषद् में मुस्लिम समुदाय के व्यक्तियों को सीट देने की बात की. उमा भारती ने कहा कि, “बेशक हमारी पार्टी ने एक भी मुस्लिम को इन चुनावों में टिकट न दिया हो लेकिन हम उन्हें विधान परिषद में सीट दे सकते हैं.”
भाजपा के बड़े नेता व गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देने पर अफ़सोस जताया. हालाँकि ऐसे बयान भाजपा की और से अभी आने शुरू हुए हैं. पश्चिमी यूपी में चुनावों के समय योगी जैसे भाजपा नेताओं ने हिन्दुत्व का एजेंडा चलाया था, लेकिन जैसे जैसे चुनाव पूर्वी उत्तर प्रदेश की और बढ़ रहा हैं वैसे वैसे भाजपा नेताओं को मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में न उतारने का अफ़सोस हो रहा हैं.