नोत्बंदी के बाद हुए लगभग सभी चुनावों में भाजपा की जीत हुई हैं. लेकिन देश की सबसे अमीर बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव भाजपा के लिए अधिक चुनोती से भरे थे. क्यूंकि इन चुनावों में भाजपा और शिव सेना अलग अलग चुनाव लड़ रही थी. और इन चुनावों के परिणामों ने भी भाजपा को खुश कर दिया हैं. इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी कामयाबी मिली है, जबकि शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
किसको कितनी सीटें मिली
शिवसेना 84 सीटें जीतकर नंबर 1 पार्टी बनी है व पांच साल पहले शिवसेना के साथ गठबंधन में महज 31 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार 81 वार्डों पर अकेले कब्जा कर रही है. इन चुनावो में भी कांग्रेस की बड़ी फजीहत हुई हैं. कांग्रेस केवल 31 सीटों पर सिमट कर रह गयी हैं. जबकि एनसीपी को 9, एमएनएस को 7 और अन्य को 11 सीटें मिली हैं. शिवसेना के समर्थक शिवसेना के सबसे बड़ी पार्टी बनने की ख़ुशी में जश्न बना रहे हैं और बीजेपी कार्यकर्ताओं में भी जश्न का माहौल है.
किस दल का बनेगा मेयर
बीएमसी में बीजेपी की रिकॉर्ड सीटें और पूरे महाराष्ट्र में उसका शानदार प्रदर्शन बताता है कि राज्य में उसकी पकड़ विधानसभा चुनाव की तरह मजबूत है. शिवसेना भले ही 84 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी हो लेकिन अगर पिछले चुनावों से उसकी इस जीत की तुलना की जाए तो नतीजे पार्टी के लिए जश्न मनाने लायक तो कतई नहीं हैं. सरकार किसकी बनेगी इस पर अभी संशय हैं क्यूंकि शिवसेना अगर सत्ता सुख चाहती है तो उसे बीएमसी में बीजेपी से हाथ मिलाना होगा और राज्य में भी फड़णवीस सरकार को समर्थन जारी रखना होगा. साथ ही मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेल्लार ने दावा किया है कि उनके पास 81 सीटों के अलावा चार निर्दलीय विधायकों का भी साथ है.
शुरू हुआ आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला
कांग्रेस की हार के चलते बई इकाई के अध्यक्ष संजय निरुपम ने इस्तीफा दे दिया है. उनकी पार्टी के नेता नारायण राणे ने हार का ठीकरा संजय निरुपम के सिर फोड़ा था. साथ ही आरोप प्रत्यारोपों का सिलसिला भी शुरू हो गया हैं. परिणाम के बाद निरूपम का कहना है कि कुछ नेता चाहते थे कि चुनावों में कांग्रेस की हार हो.