अब गुजरात चुनाव में बीजेपी अपना सबसे बड़ा हथियार फेकने जा रही हैं और यह हैं पीएम मोदी | जाहिर हैं की यूपी चुनावो में भी मोदी ने धमाकेदार रैलियां की थी और जीत दिलाई थी और अब वही गुजरात में होने वाला हैं और वो भी 50 केन्द्रीय मंत्रियों के साथ |
ये हैं प्रचार का शैड्यूल –
भाजपा के नेता और तमाम मंत्री 26 और 27 नवंबर को पूरे राज्य में जनसभाएं और जनसंपर्क करेंगे। वहीं 27 नवंबर से पीएम मोदी गुजरात में चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे। 27 नवंबर को पीएम भुज, जसदण, अमरेली, सूरत में रैली करेंगे। इसके बाद 29 नवंबर पीएम मोरबी, सोमनाथ, भावनगर और नवसारी में जनसभाएं करेंगे। संभावना है कि पीएम मोदी पूरे गुजरात विधानसभा में 32 से 35 सभाएं तक करेंगे।
आसान नहीं हैं बीजेपी का ये असर
गुजरात में कुछ ऐसी चीजे हुई हैं जिनकी वजह से बीजेपी की राह वहां मुश्किल होती दिखाई दे रही हैं | इसमें पाटीदार आंदोलन, ओबीसी आंदोलन, दलित आंदोलन, छोटे व्यापारियों का आंदोलन, आशा वर्कर आंदोलन, आंगनबाड़ी महिलाओं का आंदोलन, फिक्स्ड सैलरी वर्कर मूवमेंट और एंबुलेंस वर्कर मूवमेंट शामिल है। इन आंदोलनों ने भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बना रहे हैं। खास तौर से ओबीसी और दलित आंदोलन जो खुलेआम कह रहे हैं कि वो भाजपा के खिलाफ वोट देंगे।
इसके अलावा जनता को महसूस हो रहा है कि मंत्रियों ने अपना काम नहीं किया। इतना ही औद्योगीकरण की तेजी में भाजपा ने ग्रामीण इलाकों को नजरअंदाज किया है। फसल मूल्य निर्धारण और बीमा के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों में और अधिक सीटें मिलेंगी और भाजपा सूरत के अलावा शहरी इलाकों में और अधिक सीटें हासिल करेगी क्योंकि वहां पाटीदार आंदोलन मजबूत है।
मोदी को हटा के देखे तो –
नरेंद्र मोदी को हटा दें तो भाजपा को गुजरात में 182 सीटों में से सिर्फ 50 में ही मिलेगी। एक करिश्माई नेता एक दूसरे पंक्ति के नेता का विकास कभी नहीं करेंगे। इंदिरा गांधी ने ऐसा नहीं किया और मोदी ने भी ऐसा नहीं किया है। कोई भी करिश्माई नेता कभी दूसरे पंक्ति का नेता नहीं बनने देना चाहता। यह पूछे जाने पर कि अमित शाह की रणनीति क्या होगी, इस पर जोशी ने कहा कि अगर भाजपा जातिप टिकट दे रही है, तो कांग्रेस भी उसी तरह टिकट देगी। तो जातिवाद कहां है? यह न केवल अमित शाह बल्कि अहमद पटेल भी उसी तरह से काम कर रहे हैं।
इसके अलावा आरएसएस का एक बहुत बड़ा हिस्सा भी बीजेपी के खिलाफ आया चूका हैं लेकिन अब देखना हैं की आखिर इसके वावजूद मोदी की ये रैलियां कितनी काम आती हैं |