इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि प्रथम चरण में जाट समुदाय का मत ही आने वाली सरकार के निर्धारण में अहम भूमिका निभाएगा। पहले चरण के मतदान में जाट समुदाय भाजपा की ओर झुकता दिखाई दे रहा है।
पहले चरण के मतदान में जाट समुदाय भाजपा की ओर झुकता दिखाई दे रहा है। पूर्व में प्रदेश में रही बसपा और सपा की सरकार से जाट काफी असंतुष्ट हैं। किसानों की अनदेखी व समुदाय विशेष की दहशतगर्दी के चलते पलायन की समस्या जाट समुदाय की सपा व बसपा से नाराजगी के प्रमुख कारण हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर वर्तमान प्रदेश सरकार काफी उदासीन रही है। किसानों के हजारों करोड़ रुपए अब तक बकाया हैं और कर्ज तले दबे किसान आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गए। जिस कारण जाट समुदाय में काफी रोष और गुस्सा है। वहीं दूसरी ओर समुदाय विशेष के आतंक से परेशान हो कर जाट समुदाय के लोग अपना घर व रोजगार छोड़ कर पलायन करने को मजबूर हो गए, जिस कारण जाट समुदाय को जान-माल का काफी नुकसान भी हुआ।
इन सब के बाद सपा और कांग्रेस का गठबंधन भी जाटों को नागवार गुजरा, क्योंकि जाट समुदाय अब एक बहुमत वाली सरकार चाहता है, अब वह प्रदेश में मिली-जुली सरकार नहीं झेलना चाहती है। यही कारण है कि जाट अब राष्ट्रीय लोक दल से भी किनारा कर रहे हैं, क्योंकि गठबंधन के पहले की चर्चाओं से उन्हें यह अंदाजा है कि चुनाव के बाद रालोद भी सपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लेगी। वहीं भारतीय जनता पार्टी के चुनावी वादे जाट समुदाय को अधिक लुभा रहे हैं और विश्वसनीय भी लग रहे हैं, जिस कारण जाट समुदाय भाजपा को वोट देना अधिक उचित समझ रहा है। उन्हें विश्वास है कि भाजपा उनके हक और जरूरतों को समझेगी और पूरा करेगी। इन सभी कारणों और तथ्यों को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2017 के विधानसभा के चुनाव में भाजपा जाट समुदाय की प्राथमिकता रहेगी, जिस कारण प्रदेश में भाजपा को विधानसभा चुनाव में काफी बढ़त और फायदा मिलेगा और चुनाव में सफलता का रास्ता साफ होगा।