तो इन मुद्दों पे गुजरात में बीजेपी से पिछड़ रही हैं कांग्रेस

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rahul gandhi tongue again slipped

गुजरात !!! एक ऐसी जगह जहाँ से देश के प्रधानमंत्री आते हैं और वो पाहे गुजरात के मुख्मंत्री भी रह चुके हैं जिसे जीतने के लिए बीजेपी दिन रात इस चुनाव में लगी हुई हैं | हार्दिक के साथ आने पर एक समय तो बीजेपी कांग्रेस से पीछे नजर आने लगी थी लेकिन बीजेपी में भी ऐसे तीर हैं जिनसे वो कांग्रेस की हराती नजर आ रही हैं | एक एक कर बीजेपी उन मुद्दों को अपने पक्ष में करने में कामयाब होती नजर आ रही है जिनको लेकर पार्टी में चिंता थी और जिनसे कांग्रेस या उसके बाकी सहयोगी खुश नजर आ रहे थे। बीजेपी ने पहले जीएसटी के मुद्दे पर बड़ी राहत देकर व्यापारियों के गुस्से को ठंडा करने की कोशिश की और फिर मूडीज की रिपोर्ट से आर्थिक मोर्चे पर पार्टी का दावा और मजबूत हो गया।

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इन दोनों मुद्दों पे पार्टी का एक्शन प्लान –

एक तो पाटीदार समाज का गुस्सा और दूसरा व्यापारियों को जीएसटी और नोटबंदी से हुई परेशानी। पार्टी ने दोनों ही मसलों को तरीके से सुलझाया है और विरोधियों को ठंडा करने में कामयाबी पायी है। इधर जीएसटी की कवायद हुई तो दूसरी ओर हार्दिक पटेल को कमजोर करने की कवायद पहले से ही चल रही थी। टिकट बंटवारे के वक्त तक उनके कई करीबी सहयोगियों को तोड़ कर बीजेपी ने पाटीदार समाज के विरोध को कम करने में सफलता पा ली है। यही नहीं जिस तरह से हार्दिक पटेल का सीडी कांड वायरल हुआ उससे भी बीजेपी बढ़त लेती दिख रही है।

राहुल और हार्दिक को झटका –

पहले चरण के चुनाव के मतदान के होने के पहले बीजेपी के तरकश से और तीर निकलने के आसार हैं जिससे हार्दिक पटेल और कांग्रेस को झटका लग सकता है। एक एक कर हार्दिक पटेल के और भी सहयोगी उनसे किनारा कर सकते हैं। रही सही कसर कांग्रेस और हार्दिक पटेल की टिकट या आरक्षण को लेकर चल रही रस्साकशी से पूरी हो रही है। बीजेपी ने अपनी सारी सूचियों में पाटीदार समाज का पूरा ख्याल रखा है। इससे हार्दिक पटेल का दवाब कांग्रेस पर और बढ़ गया है। इसी चक्कर में अब तक न तो कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को फाइनल कर पा रही है और न ही हार्दिक पटेल खुलकर कांग्रेस का साथ दे पा रहे हैं। इसमें जितनी देरी हो रही है, स्वाभाविक रूप से उसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है।

परेशान हैं कांग्रेस –

कांग्रेस के भीतर आत्मविश्वास नहीं देखने को मिल रहा। जैसे तैसे पहली सूची आई और दूसरी भी लेकिन दूसरी सूची में ही पहली सूची के कई नाम बदल गए। साफ जाहिर है कि पार्टी अपने स्तर पर कोई भी फैसला करने में सक्षम नहीं दिख रही। एक तरफ पार्टी के कार्यकर्ताओं को साथ रखने की चिंता है तो दूसरी तरफ हार्दिक पटेल को। इनके अलावा अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश को भी। बस इसी उधेड़बुन में पार्टी का समय निकल रहा है।

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