भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के आम लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। रविवार को पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने शीर्ष नेताओं के साथ बैठक की। केंद्र में दोबारा वापसी के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत टीम बनाने की रणनीति बनाई है। इसके तहत जल्द ही कई राज्यों के पार्टी अध्यक्षों तथा प्रभारियों को भी बदले जाने की संभावना है। इस मैराथन मीटिंग में संगठन को मजबूत बनाने तथा भविष्य की अन्य रणनीति पर चर्चा हुई।
बदले जा सकते है कई नाम –
इस बैठक में अमित शाह ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों, पार्टी अध्यक्षों तथा अन्य नेताओं के साथ बैठक में चुनाव की तैयारियों के लिहाज से राज्यों में पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने पर भी चर्चा की। आपको बता दें कि राज्य स्तर पर पार्टी के पुनर्गठन का प्रस्ताव काफी समय से लंबित चल रहा है। हाल ही में अपने कर्नाटक दौरे से वापस लौटे अमित शाह ने रविवार का दिन पार्टी मुख्यालय में बिताया| इस बीच उन्होंने राज्य के नेतृत्व में एक बदलाव किया है। उन्होंने दक्षिण भारत के दौरे के बीच ही पंजाब के पार्टी अध्यक्ष विजय सांपला को हटाकर श्वेत मलिक को नया अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। श्वेत मलिक केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली के नजदीकी माने जाते हैं। एक शीर्ष सूत्र के मुताबिक, पार्टी ने प्रत्येक नेता की क्षमता के अनुसार दायित्व तय किए हैं। हमारे पास उनके लिए विशिष्ट आवश्यकताएं हैं, और उन्हें उस हिसाब से रखा जाएगा।
राजस्थान में भी होगा बदलाव –
हाल ही में अमित शाह ने तीन राज्यों के सीएम से मुलाकात की है। इनमें हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, राजस्थान की वसुंधरा राजे सिंधिया, और उत्तराखंड़ के टीएस रावत शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक अमित शाह ने प्रस्तावित सूरज गौरव यात्रा को लेकर उनके प्लान के बारे में पूछा। यहीं नहीं उन्होंने भविष्य वोटर के लिए क्या रोडमैप तैयार किया इस पर भी चर्चा की। साथ ही ऐसे हर संभव मुद्दों को हल करने को कहा गया जो राज्य में भाजपा के खिलाफ जाते हों। आपको बता दें कि इस साल के अंत में राजस्थान में चुनाव होने हैं।
यूपी में होगा कैबिनेट बदलाव –
अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, धर्मेन्द्र प्रधान तथा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से भी अलग-अलग चर्चा की। पार्टी हर निर्वाचन क्षेत्र में अपनी सूक्ष्म-प्रबंधन की रणनीति बना रही है। वह आगामी चुनावों में किसी मुद्दे को हलके में नहीं लेना चाहती है। हाल ही में लोकसभा की दो गोरखपुर तथा फूलपुर की सीटों पर हुए उपचुनाव में पार्टी को मिली हार नेतृत्व के लिए चिंता का सबब है। भाजपा अध्यक्ष ने इस महत्त्वपूर्ण प्रदेश में चुनावी दृष्टि से और अधिक मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा की। ऐसा माना जा रहा है कि कि उत्तर प्रदेश के जटिल जातीय समीकरण को देखते हुए प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कुछ फेरबदल के लिए सुझाव दिये जा सकते हैं।