बसपा के पुराने नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी ने लगाये मायवती पर पैसे मांगने के गंभीर आरोप.

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BSP's old leader Nasimuddin Siddiqui serious aligations against mayawati

दिल्ली में जैसे कपिल मिश्रा ने अपने गुरु केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला हैं वैसे ही कुछ उत्तर प्रदेश में नसीमुद्दीन सिद्दकी ने कर दिया हैं. बहुजन समाज पार्टी में कभी नंबर दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने बर्खास्तगी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अपनी बात को पुख्ता करने के लिए गुरुवार को आयोजित  प्रेस कॉन्फ्रेंस में नसीमुद्दीन ने आरोप लगाने के साथ ही कई ऑडियो क्लिप भी सुनाए.  सिद्दीकी पार्टी में महासचिव के पद पर थे औऱ उन्हें मध्य प्रदेश का प्रभार भी दिया गया था.

BSP's old leader Nasimuddin Siddiqui serious aligations against mayawati

ये लगाये आरोप

नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती के खिलाफ कई सबूत होने का दावा भी किया. उन्होंने माया के साथ बातचीत के कई ऑडियो क्लिप भी सुनाए, इनमें मायावती नसीमुद्दीन से बात करते हुए मेरठ और अन्य मंडलों के उम्मीदवारों से हिसाब मांग रही है. और उन्हें अपने साथ लेकर आने को बोल रही हैं.

सिद्दीकी ने बताया, ‘मायावती ने मुसलमानों को गद्दार कहा.’ मायावती ने कहा था, ‘मुझसे दाढ़ी वाले मौलाना मिलने आते थे लेकिन उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया. मुसलमानों ने हमें धोखा दिया.’ नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, ”मैंने कहा कि बहन जी ये मेरे धर्म का मामला है आप ऐसी भाषा ना बोलें. मैंने कहा कि मैंने आपसो किसी मौलाना को नहीं मिलाया. उन्होंने कहा कि सतीश चंद्र मिश्रा ने मोलानाओं से मिलवाया. इसके बाद उन्होंने कहा कि अपर कास्ट ने भी हमें वोट नहीं दिया.  साथ ही नसीमुद्दीन ने मायावती पर कांशीराम को लेकर भी बड़ा आरोप लगाया. नसीमुद्दीन ने कहा कि मायावती जी ने 2002 के पंजाब और यूपी विधानसभा चुनाव में कांशीराम को बेइज्जत किया और खुद को कांशीराम से ऊपर साबित करने की कोशिश की.

बहन जी ने मांगे पैसे

गाहे बगाहे मायावती पर अपने प्रत्याशियों से पैसे मागने के आरोप लगते रहे हैं. आज फिर ये बात तब सामने आयी जब नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, ”मुझे एक दिन बहन जी ने मुझे बुलाया कहा कि पार्टी को पैसे की जरूरत है. 50 करोड़ रुपये पार्टी को दो. मैंने कहा कि बहन जी इतना पैसा मैं कहां से लाऊंगा. बहन जी ने कहा कि अपनी प्रॉपर्टी बेंच दो.

ये हालत देखकर तो ये लगता हैं कि पहले सपा और फिर बसपा की रार से कहीं उत्तर प्रदेश में बिछा क्षेत्रीय दलों का तिलिस्म अब टूटने तो नहीं लगा हैं ?

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