आज पश्चिमी यूपी में चुनाव प्रचार का शोर थम गया हैं. आज आख़री दिन सभी दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक हैं. अब 11 तारीख को यहाँ वोट डाले जायेंगे. अब चुनाव प्रचार तो खत्म हो गया हैं लेकिन सट्टा बाज़ार की गहमा गहमी तेज हो गयी हैं. बहुत से ओपनीयन पोल सपा कांग्रेस गठबंधन के जीतने की बात कह चुके हैं तो बहुतो ने भाजपा के जीतने की भविष्यवाणी की हैं. हालाँकि बहुत लोगों का ये भी मानना हैं कि इस बार त्रिशंकु विधानसभा बनने के आसार हैं. उत्तर प्रदेश में होने वाले प्रथम चरण की वोटिंग से दो दिन पहले सट्टा बाजार भी गर्म हो गया है.
अनौपचारिक डेटा के मुताबिक, बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन नजदीकी रेस में हैं और मायावती तीसरे नंबर के लिए सबसे नजदीक हैं. बीजेपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन 403 विधानसभा सीटों के चुनाव में 130-130 सीटें जीत रही हैं. इस पर 1 रूपये 30 पैसे का भाव भी लगा हैं.
इन सभी बातों को देखते हुए लगता हैं कई कहीं बसपा यूपी की सत्ता की दौड़ में सबसे पीछे न रह जाएँ. लेकिन यहाँ के मतदाताओं में जाति और धर्म के ऊपर भी एक वर्गीकरण हैं, और इसका नाम हैं साइलेंट वोटर. अभी तक कुछ लोग सपा की और जाते दिख रहें हैं और कुछ बसपा व भाजपा की और. लेकिन मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा भी हैं जो अभी तक यह नहीं सोच पाया हैं कि उसे किस दल को मत देना हैं. और ये मतदाता वर्ग ही पूरे चुनाव की दिशा बदल सकता हैं. 99 मुसलमानों को विधानसभा चुनाव का टिकट थमा कर मायावती ने कोशिश की है इस बार दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत करने को लेकर, लेकिन, लगता है यह गठजोड़ उस कदर नहीं बन पाया जिसकी उम्मीद खुद मायावती कर रही होंगी.
अधिकतर मुस्लिमों का सपा कांग्रेस से गठबंधन के बाद सपा की और झुकाव हुआ ही हैं. इससे सपा में चले कलह के बाद होने वाले नुकसान की भरपाई तो हो ही जायेगी. बीजेपी ने भी पूरे प्रदेश में 85 दलित समुदाय के लोगों को टिकट दिया है. यहाँ ये देखना भी दिलचस्प होगा कि जनता काम के बदले वोट देती हैं जाति के नाम पर.