फेसबुक डेटा लीक मामले ने देशभर में संग्राम पैदा किया हुआ है और इसकी गूँज अमेरिका तक पहुच गई है | वही चुनावू के दौरान डेटा लीक को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने बड़ा बयान दिया है | मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि नई तकनीक कके साथ हमे फूंक-फूंक कर कदम रखने की जरूरत हैं। फेसबुक के डेटा चोरी की वजह से चुनाव प्रक्रिया के प्रभावित होने वाली खबर पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस मामले में हम जानकारी को इकट्ठा कर रहे हैं, हम यह देख रहे हैं कि इसमे क्या रिस्क है, इसे कैसे रोका जा सकता है कि इसके लिए हम जल्द ही एक बैठक करेंगे।
रिस्क को खत्म करेगे –
ओपी रावत ने कहा कि आयोग लगातार इस तरह की बैठक करता है, यह नई तकनीक है। हम चाहेंगे कि इस बात को देखें कि कैसे इस तकनीक में रिस्क को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि हम लोगों को इस बाबत जानकारी देते रहेंगे, साथ ही उन्हे बताते रहेंगे कि क्या करना है और क्या नहीं। हमारी सोशल मीडिया पॉलिसी जारी रहेगी। चुनाव आयुक्त ने कहा कि अभी तक किसी भी राजनीतिक दल की ओर से शिकायत नहीं की गई है।
फेसबुक के डेटा लीक के बाद आधार कार्ड से मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने को लेकर मुख्य आयुक्त ने कहा कि हम आधार से वोटर कार्ड को जोड़ना चाहते हैं, लेकिन इसे अनिवार्य करना जरूरी नहीं है। आपको बता दें कि फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक होने के बाद लगातार यह सवाल खड़ा हो रहा है कि ऑनलाइन लोगों का डेटा किस तरह से सुरक्षित है। कैंम्ब्रिज एनालिटिका ने आरोप लगाया था कि फेसबुक के यूजर्स के डेटा का दुरुपयोग किया गया था। जिसके बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो हम मार्क जकरबर्ग को पूछताछ के लिए बुलाएंगे।
फेसबुक के मालिक ने मानी गलती –
आपको बता दें कि इस घटना के बाद जकरबर्ग ने कहा कि डेटा की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है, ऐसे में अगर यह नहीं कर सकते हैं तो हमे आपके लिए काम करने का हक नहीं। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि उनका डेटा लीक हुआ है। साथ ही वह यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह आखिर कैसे हुआ। जकरबर्ग ने कहा कि वह कोशिश करेंगे कि दोबारा ऐसा नहीं हो, हम इसके लिए जरूरी कदम उठाएंगे। जकरबर्ग ने फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए यह तमाम बाते की है।
तो वही इस मुद्दे को लेकर बीजेपी और कांग्रेस एक बार फिर आमने सामने है और दोनों पक्षों के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है जिसकी वजह से आधार डेटा को लेकर भी असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है |