गुजरात में अपना सिक्का जमाने के लिए कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही हैं और इसके लिए वो दिन रात नए नए मास्टर प्लान बनाने में आगी हुई हैं | कांग्रेस अब बिहार विधानसभा चुनाव से सीख लेकर गुजरात विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। चुनाव में ध्रुवीकरण ना होने पाए इसलिए कांग्रेस ने गुजरात के लिए खास प्लान तैयार किया है। प्लान को इतना सीक्रेट रखा गया है कि खुलकर कांग्रेस के नेता ना ही इस पर बात कर रहे हैं और ना ही इस प्लान में उनकी कोई खुली भूमिका होगी। कांग्रेस के रणनीतिकार पर्दे के पीछे से इस रणनीति को अंजाम देंगे।
बीजेपी को उसके गढ़ में घेरने की तैयारी –
विजय रूपानी गुजरात के राजकोट की पश्चिम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने राजकोट पूर्व से चुनाव लड़ने वाले अपने नेता इंद्रनील राज्यगुरु को उतारा है। इंद्रनील राज्यगुरू गुजरात में कांग्रेस के सबसे बड़े फाइनेंसर हैं। जिसके चलते चुनाव के लिए तो वो अपने बूते कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करते ही हैं, पूरे इलाके के कांग्रेस उम्मीदवारों को भी इंद्रनील से मदद मिलती है। उनके धन बल की ही वजह से कांग्रेस के लिए राजकोट पूर्व की सीट सुरक्षित मानी जाती हैृ। इसके बावजूद इंद्रनील ने अपनी सुरक्षित सीट छोड़कर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से सीधी टक्कर लेने का फैसला किया है। इसी से गुजरात चुनाव को लेकर कांग्रेस की आक्रामक रणनीति साफ हो जाती है। ऐसे में इस बार कांग्रेस ने सोची समझी चाल चली है।
गुजरात में मोदी युग आने के बाद से कांग्रेस पहली बार ऐसी आक्रामक सियासत करती दिख रही है। इसकी एक मिसाल पोरबंदर में भी दिखी है। जहां कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता अर्जुन मोढवाडिया को बीजेपी के ताकतवर मंत्री बाबू बोखिरिया के खिलाफ उतारा है। मोढवाडिया पिछला चुनाव हार गए थे। लेकिन राज्य में बहुत से लोग मानते हैं कि बाबू बोखिरिया को कोई हरा सकता है तो वो अर्जुन मोढवाडिया ही हैं। कांग्रेस ने अर्जुन मोढवाडिया के लिए सुरक्षित सीट तलाशने के बजाय बाबू बोखिरिया के खिलाफ उतारकर यह चुनौती स्वीकार कर ली है।
पिछडो के लिए ये प्लान –
कांग्रेस खाम यानी क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम वोटरों को लुभाने की अपनी पुरानी रणनीति पर भी नए सिरे से काम कर रही है। इसमें पाटीदारों और पिछड़ों को भी जोड़ने की जुगत है। हार्दिक पटेल के जरिए पाटीदारों को कांग्रेस के पाले में लाने की कोशिश की जा रही है। तो अल्पेश ठाकोर के जरिए पिछड़े वोटर लुभाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने दोनों समुदायों से 43 प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें से 20 पाटीदार हैं और 23 ओबीसी। साफ है कि कांग्रेस इन चुनावों को बहुत अहमियत दे रही है। यह आंकड़े इसलिए भी अहमियत रखते हैं क्योंकि पहले राउंड में 9 दिसंबर को सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में वोट डाले जाएंगे।