भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है। उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम. वैंकेया नायडू ने यह प्रस्ताव तकनीकी आधार पर खारिज कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों की ओर से दी गई नोटिस पर 71 सांसदों के दस्तखत थे लेकिन उस पर 7 ऐसे सांसदों के हस्ताक्षर थे जो रिटायर हो चुके हैं। उपराष्ट्पति की ओर से 20 पन्नों के आदेश में कहा गया है कि महाभियोग राजनीति से प्रेरित था। आदेश में कहा गा है कि प्रस्ताव देने के बाद प्रेस वार्ता करना गलत था। इसके साथ गी CJI पर लगाए गए 5 आरोप खारिज कर दिए हए हैं। आदेश में कहा गया है कि आरोपों के संदर्भ में कोई सबूत नहीं दिए गए। प्रस्ताव खारिज होने के बाद काग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हम नहीं जानते कि अस्वीकृति का कारण क्या है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल कुछ कानूनी विशेषज्ञों से बात करेंगे और अगला कदम उठाएंगे।
इनसे क्या विचार विमर्श-
वैंकेया ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी, सुभाष कश्यप, पूर्व कानून सचिव पीके मल्होत्रा, संजय सिंह और राज्यसभा के अन्य अधिकारियों से बात की। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अगर, महाभियोग को स्वीकार नहीं किया गया तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। बता दें कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी मसले पर उपराष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।
विपक्ष ने ये कहा था-
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सीजेआई के कार्यालय के कामकाज की ओर इशारा करते हुए स्वयं मानते हैं कि न्यायपालिका की आजादी खतरे में है तो क्या राष्ट्र कोइ इसके खिलाफ खड़ा नहीं होना चाहिए। वरिष्ठ न्यायाधीशों के दो हालिया वक्तव्यों ने यह भी बताया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने संविधान के अनुसार शक्ति का प्रयोग नहीं किया है।
इस आधार पर ला सकते है महाभियोग-
संविधान के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर महाभियोग लाया जा जा सकता है। विपक्ष ने पांच आधार पर अपनी मांग का समर्थन किया था, जिसे कांग्रेस ने , दुर्व्यवहार के बराबर कहा था। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने नोटिस को बदला लेने की भावना से प्रेरित बताया था।
जाहिर है की कांग्रेस लम्बे समय से दीपक मिश्रा के कामकाज से नाखुश थी और उसका कहना था की वो संविधान के नियमो के हिसाब से नहीं बल्कि बीजेपी के हिसाब से काम कर रहे है| इससे पहले भी दीपक मिश्रा के खिलाफ कई जज अपना बयान दे चुके है|